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Winter Session: 5 नए कानून सहित 15 विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर क्या है सरकार का प्लान


Parliament Winter Session 2024: संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. इससे पहले सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें सरकार की तरफ से सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन की अपील की गई. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने इस बात की जानकारी दी. सरकार ने शीतकालीन सत्र के लिए पूरी तैयारी की है तो विपक्ष भी हंगामें के मूड में नजर आ रहा है. सरकार इस सत्र में 5 नए कानूनो सहित 15 विधेयक पेश करने की तैयारी में है, वहीं विपक्ष अडानी ग्रुप पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों के अलावा मणिपुर मुद्दे, उत्तर भारत में प्रदूषण और रेल दुर्घटनाओं पर चर्चा की मांग कर रहा है.
5 नए कानून सहित 15 विधेयक पेश करने की तैयारी
मोदी सरकार सोमवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पांच नए कानूनों सहित 15 विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है. पांच नए विधेयकों में सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने वाला विधेयक भी शामिल है. वहीं लंबित विधेयकों में वक्फ (संशोधन) विधेयक भी शामिल है, जिसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति द्वारा लोकसभा को अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
सबकी निगाहें वक्फ (संशोधन) विधेयक पर होंगी, जिसे मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए जाने के बाद संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया था. संयुक्त संसदीय समिति को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है. मौजूदा सत्र में हंगामे की आशंका है, क्योंकि विपक्षी दलों ने पहले ही वक्फ विधेयक की जांच करने वाली जेपीसी के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की है. विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने नए विधेयक में प्रस्तावित कई संशोधनों का विरोध किया है.
संसद में इन 4 मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है विपक्ष
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने अडानी ग्रुप पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा की मांग की. विपक्षी दल ने मणिपुर मुद्दे, उत्तर भारत में प्रदूषण और रेल दुर्घटनाओं पर भी चर्चा की मांग की. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि उनकी पार्टी ने अडानी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा की अनुमति देने का सरकार से आग्रह किया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि सोमवार को संसद की बैठक में सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया जाए.
सरकार ने क्यों बुलाई सर्वदलीय बैठक?
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और गौरव गोगोई के अलावा टी शिवा, हरसिमरत कौर बादल और अनुप्रिया पटेल शामिल हुए. बता दें कि शीतकालीन सत्र सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान सरकार ने शीतकालीन सत्र के एजेंडे को लेकर जानकारी दी और सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन की अपील की. संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
संसदीय परंपरा के अनुसार सरकार की ओर से यह बैठक विपक्ष को अपने विधायी एजेंडे से अवगत कराने के साथ-साथ उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती है, जिन पर पार्टियां संसद में बहस करना चाहती हैं. इस तरह की बैठक के माध्यम से सरकार सत्र के दौरान दोनों सदनों में विपक्षी दलों से औपचारिक रूप से सहयोग मांगती है.(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस और भाषा)
5 नए कानून सहित 15 विधेयक पेश करने की तैयारी
मोदी सरकार सोमवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पांच नए कानूनों सहित 15 विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है. पांच नए विधेयकों में सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने वाला विधेयक भी शामिल है. वहीं लंबित विधेयकों में वक्फ (संशोधन) विधेयक भी शामिल है, जिसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति द्वारा लोकसभा को अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
सबकी निगाहें वक्फ (संशोधन) विधेयक पर होंगी, जिसे मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए जाने के बाद संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया था. संयुक्त संसदीय समिति को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है. मौजूदा सत्र में हंगामे की आशंका है, क्योंकि विपक्षी दलों ने पहले ही वक्फ विधेयक की जांच करने वाली जेपीसी के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की है. विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने नए विधेयक में प्रस्तावित कई संशोधनों का विरोध किया है.
संसद में इन 4 मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है विपक्ष
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने अडानी ग्रुप पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा की मांग की. विपक्षी दल ने मणिपुर मुद्दे, उत्तर भारत में प्रदूषण और रेल दुर्घटनाओं पर भी चर्चा की मांग की. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि उनकी पार्टी ने अडानी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा की अनुमति देने का सरकार से आग्रह किया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि सोमवार को संसद की बैठक में सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया जाए.
सरकार ने क्यों बुलाई सर्वदलीय बैठक?
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और गौरव गोगोई के अलावा टी शिवा, हरसिमरत कौर बादल और अनुप्रिया पटेल शामिल हुए. बता दें कि शीतकालीन सत्र सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान सरकार ने शीतकालीन सत्र के एजेंडे को लेकर जानकारी दी और सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन की अपील की. संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
संसदीय परंपरा के अनुसार सरकार की ओर से यह बैठक विपक्ष को अपने विधायी एजेंडे से अवगत कराने के साथ-साथ उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती है, जिन पर पार्टियां संसद में बहस करना चाहती हैं. इस तरह की बैठक के माध्यम से सरकार सत्र के दौरान दोनों सदनों में विपक्षी दलों से औपचारिक रूप से सहयोग मांगती है.(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस और भाषा)
मोदी सरकार सोमवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पांच नए कानूनों सहित 15 विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है. पांच नए विधेयकों में सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने वाला विधेयक भी शामिल है. वहीं लंबित विधेयकों में वक्फ (संशोधन) विधेयक भी शामिल है, जिसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति द्वारा लोकसभा को अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
सबकी निगाहें वक्फ (संशोधन) विधेयक पर होंगी, जिसे मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए जाने के बाद संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया था. संयुक्त संसदीय समिति को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है. मौजूदा सत्र में हंगामे की आशंका है, क्योंकि विपक्षी दलों ने पहले ही वक्फ विधेयक की जांच करने वाली जेपीसी के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की है. विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने नए विधेयक में प्रस्तावित कई संशोधनों का विरोध किया है.
संसद में इन 4 मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है विपक्ष
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने अडानी ग्रुप पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा की मांग की. विपक्षी दल ने मणिपुर मुद्दे, उत्तर भारत में प्रदूषण और रेल दुर्घटनाओं पर भी चर्चा की मांग की. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि उनकी पार्टी ने अडानी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा की अनुमति देने का सरकार से आग्रह किया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि सोमवार को संसद की बैठक में सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया जाए.
सरकार ने क्यों बुलाई सर्वदलीय बैठक?
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और गौरव गोगोई के अलावा टी शिवा, हरसिमरत कौर बादल और अनुप्रिया पटेल शामिल हुए. बता दें कि शीतकालीन सत्र सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान सरकार ने शीतकालीन सत्र के एजेंडे को लेकर जानकारी दी और सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन की अपील की. संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
संसदीय परंपरा के अनुसार सरकार की ओर से यह बैठक विपक्ष को अपने विधायी एजेंडे से अवगत कराने के साथ-साथ उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती है, जिन पर पार्टियां संसद में बहस करना चाहती हैं. इस तरह की बैठक के माध्यम से सरकार सत्र के दौरान दोनों सदनों में विपक्षी दलों से औपचारिक रूप से सहयोग मांगती है.(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस और भाषा)
सबकी निगाहें वक्फ (संशोधन) विधेयक पर होंगी, जिसे मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए जाने के बाद संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया था. संयुक्त संसदीय समिति को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है. मौजूदा सत्र में हंगामे की आशंका है, क्योंकि विपक्षी दलों ने पहले ही वक्फ विधेयक की जांच करने वाली जेपीसी के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की है. विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने नए विधेयक में प्रस्तावित कई संशोधनों का विरोध किया है.
संसद में इन 4 मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है विपक्ष
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने अडानी ग्रुप पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा की मांग की. विपक्षी दल ने मणिपुर मुद्दे, उत्तर भारत में प्रदूषण और रेल दुर्घटनाओं पर भी चर्चा की मांग की. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि उनकी पार्टी ने अडानी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा की अनुमति देने का सरकार से आग्रह किया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि सोमवार को संसद की बैठक में सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया जाए.
सरकार ने क्यों बुलाई सर्वदलीय बैठक?
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और गौरव गोगोई के अलावा टी शिवा, हरसिमरत कौर बादल और अनुप्रिया पटेल शामिल हुए. बता दें कि शीतकालीन सत्र सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान सरकार ने शीतकालीन सत्र के एजेंडे को लेकर जानकारी दी और सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन की अपील की. संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
संसदीय परंपरा के अनुसार सरकार की ओर से यह बैठक विपक्ष को अपने विधायी एजेंडे से अवगत कराने के साथ-साथ उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती है, जिन पर पार्टियां संसद में बहस करना चाहती हैं. इस तरह की बैठक के माध्यम से सरकार सत्र के दौरान दोनों सदनों में विपक्षी दलों से औपचारिक रूप से सहयोग मांगती है.(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस और भाषा)
संसद में इन 4 मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है विपक्ष
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने अडानी ग्रुप पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा की मांग की. विपक्षी दल ने मणिपुर मुद्दे, उत्तर भारत में प्रदूषण और रेल दुर्घटनाओं पर भी चर्चा की मांग की. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि उनकी पार्टी ने अडानी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा की अनुमति देने का सरकार से आग्रह किया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि सोमवार को संसद की बैठक में सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया जाए.
सरकार ने क्यों बुलाई सर्वदलीय बैठक?
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और गौरव गोगोई के अलावा टी शिवा, हरसिमरत कौर बादल और अनुप्रिया पटेल शामिल हुए. बता दें कि शीतकालीन सत्र सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान सरकार ने शीतकालीन सत्र के एजेंडे को लेकर जानकारी दी और सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन की अपील की. संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
संसदीय परंपरा के अनुसार सरकार की ओर से यह बैठक विपक्ष को अपने विधायी एजेंडे से अवगत कराने के साथ-साथ उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती है, जिन पर पार्टियां संसद में बहस करना चाहती हैं. इस तरह की बैठक के माध्यम से सरकार सत्र के दौरान दोनों सदनों में विपक्षी दलों से औपचारिक रूप से सहयोग मांगती है.(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस और भाषा)
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने अडानी ग्रुप पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा की मांग की. विपक्षी दल ने मणिपुर मुद्दे, उत्तर भारत में प्रदूषण और रेल दुर्घटनाओं पर भी चर्चा की मांग की. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि उनकी पार्टी ने अडानी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा की अनुमति देने का सरकार से आग्रह किया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि सोमवार को संसद की बैठक में सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया जाए.
सरकार ने क्यों बुलाई सर्वदलीय बैठक?
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और गौरव गोगोई के अलावा टी शिवा, हरसिमरत कौर बादल और अनुप्रिया पटेल शामिल हुए. बता दें कि शीतकालीन सत्र सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान सरकार ने शीतकालीन सत्र के एजेंडे को लेकर जानकारी दी और सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन की अपील की. संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
संसदीय परंपरा के अनुसार सरकार की ओर से यह बैठक विपक्ष को अपने विधायी एजेंडे से अवगत कराने के साथ-साथ उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती है, जिन पर पार्टियां संसद में बहस करना चाहती हैं. इस तरह की बैठक के माध्यम से सरकार सत्र के दौरान दोनों सदनों में विपक्षी दलों से औपचारिक रूप से सहयोग मांगती है.(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस और भाषा)
सरकार ने क्यों बुलाई सर्वदलीय बैठक?
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और गौरव गोगोई के अलावा टी शिवा, हरसिमरत कौर बादल और अनुप्रिया पटेल शामिल हुए. बता दें कि शीतकालीन सत्र सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान सरकार ने शीतकालीन सत्र के एजेंडे को लेकर जानकारी दी और सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन की अपील की. संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
संसदीय परंपरा के अनुसार सरकार की ओर से यह बैठक विपक्ष को अपने विधायी एजेंडे से अवगत कराने के साथ-साथ उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती है, जिन पर पार्टियां संसद में बहस करना चाहती हैं. इस तरह की बैठक के माध्यम से सरकार सत्र के दौरान दोनों सदनों में विपक्षी दलों से औपचारिक रूप से सहयोग मांगती है.(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस और भाषा)
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और गौरव गोगोई के अलावा टी शिवा, हरसिमरत कौर बादल और अनुप्रिया पटेल शामिल हुए. बता दें कि शीतकालीन सत्र सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान सरकार ने शीतकालीन सत्र के एजेंडे को लेकर जानकारी दी और सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन की अपील की. संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
संसदीय परंपरा के अनुसार सरकार की ओर से यह बैठक विपक्ष को अपने विधायी एजेंडे से अवगत कराने के साथ-साथ उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती है, जिन पर पार्टियां संसद में बहस करना चाहती हैं. इस तरह की बैठक के माध्यम से सरकार सत्र के दौरान दोनों सदनों में विपक्षी दलों से औपचारिक रूप से सहयोग मांगती है.(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस और भाषा)
संसदीय परंपरा के अनुसार सरकार की ओर से यह बैठक विपक्ष को अपने विधायी एजेंडे से अवगत कराने के साथ-साथ उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती है, जिन पर पार्टियां संसद में बहस करना चाहती हैं. इस तरह की बैठक के माध्यम से सरकार सत्र के दौरान दोनों सदनों में विपक्षी दलों से औपचारिक रूप से सहयोग मांगती है.(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस और भाषा)

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