अघोरी पंथ की अद्भुत तपस्या और रहस्यमय जीवन
आज हम बात करेंगे भारतीय संस्कृति के एक अत्यंत गुप्त और रहस्यमयी पहलू की, जिसे अघोर पंथ के नाम से जाना जाता है। अघोरी संत, जिनकी कठिन तपस्या और अलौकिक साधनाएँ जग-जाहिर हैं, किंतु उनके जीवन की गहराईयाँ अब भी अनेकों के लिए रहस्य हैं। इनका अनुसरण व तपस्या का मार्ग नितांत अनूठा और अलग होता है। अघोरी समाज से सामान्यतः अलग-थलग रहते हैं और माता काली तथा भगवान शिव को अपना ईष्ट मानते हैं।
अघोरियों की दिनचर्या, साधना और तपस्या एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा है। शिव की भांति उनके शरीर पर भस्म और साधना की घड़ी में मां काली का अनुसरण करते हुए नरमुंडों की माला धारण की जाती है। उनकी दीक्षा और साधना की प्रक्रिया में गहन गुप्तता और रहस्य निहित होता है। अपने अधिकांश समय को वे तंत्र साधना और ध्यान में बिताते हैं, और मृतकों के साथ ही उनका निवास होता है।
अघोरी अनुष्ठान के लिए विख्यात ये मंदिर
चित्रकूट में विराजित दत्तात्रेय मंदिर जहां त्रिदेव का जन्म हुआ था, अघोरी साधना के लिए एक प्रमुख स्थल माना जाता है। दत्तात्रेय जिन्होंने यौवन काल में घर त्यागकर तपस्या में लीन होने का निर्णय लिया, वे अंततः अघोरी पंथ के प्रणेता बने और अघोरी साधक अक्सर यहां अपनी साधना के लिए आते हैं।
गुप्ताधारी अघोरियों की सिद्धियों का आधार – कालीमठ मंदिर
उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित कालीमठ मंदिर भी अघोरियों के लिए एक महत्वपूर्ण पीठ माना जाता है। कालीमठ वह स्थल है जहां अघोरी साधक तंत्र-मंत्र साधना के साथ ही महान सिद्धियाँ प्राप्त करते हैं।
नेपाल में छिपा अघोर पंथ का इतिहास – अघोर कुटी
काठमांडू, नेपाल में मौजूद अघोर कुटी भी एक प्राचीन स्थल है जो आज भी अपनी साधना के लिए प्रसिद्ध है। अघोरी साधु यहां रात्री के अंधकार में तपस्या में लीन हो जाते हैं।
भारत के उन स्थानों का क्या महत्व है जो अघोरी साधकों के लिए प्रिय हैं?
तारापीठ मंदिर जो पश्चिम बंगाल में स्थित है, में आप श्मशान के सन्निकट अघोरी साधकों को तंत्र साधना में लीन पाएंगे। इसी प्रकार कपालेश्वर मंदिर, मुदैर में भी अघोरियों की बड़ी संख्या देखने को मिलेगी जो यहां लंबी तपस्या और अनुष्ठान करते हैं। कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर भी तांत्रिक साधना के लिए विख्यात है।
अघोरी पंथ और उनकी तपस्या की गहराइयों को समझना सामान्य मनुष्य के लिए सरल नहीं है; यह एक पथ है जो अत्यंत विशेष और अंतरात्मा की गहन खोज है। उपरोक्त जानकारी केवल सामान्य मान्यताओं और ज्ञान पर आधारित है, यहां प्रस्तुत सभी तथ्यों की पुष्टि डीएनए हिंदी द्वारा नहीं की गयी है। अतः पाठक अपने विवेक से निष्कर्ष निकालें।