मुस्लिम उम्माह का इंतजार शव्वाल के चांद का
पूरे मुस्लिम समाज की निगाहें आज आसमान की तरफ टिकी हुई हैं, क्योंकि शव्वाल के चांद के दीदार के साथ ही धरती पर खुशियों के इस पवित्र पर्व ईद-उल-फितर की बुनियाद रखी जाएगी। इस्लामी कलैंडर के अनुसार रमजान के पवित्र महीने के इख्तिताम के बाद ईद की त्योहारी नमाज के साथ यह पाक दिन मनाया जाता है।
रमजान का पवित्रता से भरा महीना
रमजान, जिसे हर मुसलमान गहरे भक्ति भाव से निर्वहन करता है, इस्लामिक कैलेंडर का नौंवा महीना है। इस दौरान रोजेदार सूर्योदय से पहले से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी ग्रहण नहीं करते, यहां तक की पानी भी नहीं। रोजा, जिसे उपवास या व्रत भी कहा जाता है, के पीछे असल मकसद ईश्वर से नजदीकी बनाने का है और साथ ही आत्म-संयम को बलवान करना।
चांद का निकलना और ईद की तैयारी
इस्लामी मान्यताओं के मुताबिक, चांद का निकलना ईद मनाने का प्रमुख संकेत होता है। शव्वाल का चांद दिखने के नाते ही ईद का दिन निर्धारित होता है। सऊदी अरब में, जहां से यह चांद देखने की परंपरा की शुरुआत होती है, उस देश के निवासी और वहां की सरकार इस पर विशेष ध्यान देती है।
सऊदी अरब में, अगर 8 अप्रैल की शाम को चांद नहीं नजर आया तो 9 अप्रैल की शाम को फिर से चांद की तलाश होगी। अगर इस बार चांद दिखाई दे जाता है तो सीधे तौर पर अगले दिन यानी 10 अप्रैल, 2024 को ईद मनाई जाएगी।
विश्व भर में ईद का जश्न
चांद के निकलने का आयोजन केवल सऊदी अरब तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया जैसे संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, तुर्की, मिस्र, मध्य पूर्व और बहुत सारे देश इसी कड़ी में शामिल होते हैं। एक दिन पहले चांद नहीं दिखने का अर्थ है कि रमजान की अवधि पूरे 30 दिनों की होगी। इस साल रमजान 12 मार्च 2024 से शुरू हो चूका है और मुस्लिमों ने दिल से इसका आगाज़ किया था।
भारत में ईद की उत्सव की तिथि
वहीं भारत में, चांद का दिखना अरब देशों के बाद संपन्न होता है। सऊदी अरब में चांद देखे जाने के बाद अगले दिन यह अनुष्ठान भारत में होता है। तदनुसार, भारत में इस वर्ष ईद 11 अप्रैल, 2024 को मनाई जाएगी। यह तिथि, हालांकि, चांद के दर्शन पर निर्भर करती है। अरब से लेकर भारत तक, ईद के दिन की तैयारियां, नए कपड़ों की खरीदारी, सेवइयों का व्यंजन, और दान-पुण्य की तैयारियों में एक समान उत्साह और पवित्र भावना देखी जा सकती है।
निष्कर्ष में, ईद-उल-फितर सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए एकजुटता, भाईचारे और सामुदायिक सौहार्द का प्रतीक है। सभी के लिए हमारी दुआ है कि यह ईद उम्मीदों, खुशियों और आयोजन की नई लहर ले कर आए।