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कलयुग में भी मिलते हैं द्वापर युग के महाभारत युद्ध के साक्ष्य

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प्राचीन इतिहास के पन्ने: महाभारत के युद्ध की गवाही

भारतीय इतिहास के सबसे रोमांचकारी और रहस्यमयी कथाओं में से एक है महाभारत का युद्ध। इस युद्ध के किस्से और उससे जुड़ी घटनाएं आज भी हमारे सामने उन कालखंडों को ताजा कर देती हैं। विशेष रूप से वह प्रसंग जहां यक्ष और पांडवों के ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठिर के बीच हुआ संवाद आज भी मानव जीवन के गूढ़ रहस्यों और जीवन मूल्यों को उजागर करता है।

पांडवों का अज्ञातवास और यक्ष प्रसंग

द्वापर युग की घटना है, जब पांडव अज्ञातवास में थे। एक दिन उनके जंगल में रहते हुए युधिष्ठिर ने अपने छोटे भाई नकुल को जल लाने का कार्य सौंपा। नकुल ने एक शीतल तालाब का पता लगाया और जैसे ही पानी पीने के लिए झुके, एक यक्ष ने उन्हें चेतावनी देते हुए पानी पीने से मना किया।

यक्ष ने कहा कि पहले उसके सवालों का जवाब देना होगा, तभी पानी पीने की अनुमति होगी। परंतु नकुल ने बिना यक्ष की चेतावनी को सुने, प्यास बुझाने के लिए पानी पिया और तत्काल ही उनकी मृत्यु हो गई।

पांडवों की मृत्यु और युधिष्ठिर की बुद्धिमत्ता

नकुल के बाद क्रमशः सहदेव, अर्जुन और भीम भी तालाब तक पहुंचे और उन्होंने भी बिना यक्ष की चेतावनी का अनादर कर पानी पी लिया, जिसके कारण उनका भी निधन हो गया। अंततः युधिष्ठिर जब उन्हें खोजते हुए तालाब तक पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि उनके चारों भाई मृतावस्था में हैं। यक्ष से इस परिस्थिति का कारण पूछने पर, यक्ष ने उनसे भी सवाल किए।

यक्ष ने पूछा, “पृथ्वी से भारी क्या है?” युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, “मां है।” इसी तरह के अन्य प्रश्न हुए, जैसे “आकाश से उच्च क्या है?”, “हवा से तेज क्या चलता है?”, “तिनकों से अधिक संख्या में क्या होता है?”, इत्यादि। हर एक प्रश्न का युधिष्ठिर ने सटीक और सूझबूझ भरा उत्तर दिया।

यक्ष द्वारा पांडवों का संजीवनी प्रदान करना

युधिष्ठिर के उत्तरों से प्रसन्न होकर यक्ष ने उन्हें अपनी एक वरदान देने का वचन दिया। युधिष्ठिर ने अपने भाइयों के जीवन की याचना की, और यक्ष ने उनके चारों भाइयों को पुनर्जीवित किया। इस प्रकार, पांडव फिर से जीवन की ओर अग्रसर हुए।

महाभारत के इस प्रसंग की शिक्षा

महाभारत के इस प्रसंग से एक महत्वपूर्ण और अमर संदेश मिलता है कि धैर्य, विवेक और ज्ञान की शक्ति संकटों का सामना करने में सबसे बड़ा हथियार होती है। युधिष्ठिर ने अपने विवेक के बल पर न केवल अपना जीवन बचाया, बल्कि अपने भाइयों को भी मृत्यु के मुंह से वापस लाए।

आज भी यह कथा हमें जीवन में सोच समझकर निर्णय लेने और विकट परिस्थितियों में भी संयम बरतने की सीख देती है।_PICK_

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