खरमास का आरंभ और परंपराएं
हिंदू धर्मानुसार वर्ष के विशेष दिनों की गणना में खरमास का विशेष स्थान है। इस साल खरमास की शुरुआत 14 मार्च से हो चुकी है, जो कि 13 अप्रैल तक चलेगा। इन दिनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक और आरंभिक कार्यों को करने से हिंदू धर्मशास्त्रों में मनाही है। शादी-विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ, मुंडन, वाहन और घर के क्रयादि कार्य अशुभ माने जाते हैं और इनसे दुष्परिणामों की आशंका रहती है।
आध्यात्मिक कार्यों की महत्ता
ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार के अनुसार वैसे तो खरमास में मांगलिक कार्य निषेध हैं, किंतु धार्मिक व अध्यात्मिक कार्यों के लिए ये दिन अत्यंत शुभ होते हैं। इस अवधि में भगवान का नाम लेने, मंत्र जाप, हवन आदि से विशेष लाभ मिलता है, जिससे जीवन में आई परेशानियां और भावी कष्ट दूर होते हैं। इसके साथ ही, व्यापार में लाभ और उन्नति भी प्राप्त हो सकती है।
किन कार्यों पर दें विशेष ध्यान?
1. भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की पूजा-आराधना से जीवन में पॉज़िटिविटी और आशीर्वाद मिलता है। विशेष रूप से गुरु बृहस्पति की कथा, चालीसा और पाठ से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
2. दान का महत्व: खरमास में दान करने की महत्ता को विशेष ध्यान में रखा जाना चाहिए। क्षमतानुसार गरीबों, आवश्यकता अनुसार दान करने से बिना किसी भेदभाव के देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
3. मंत्रों का जाप: एकाक्षरी बीज मंत्र ‘ॐ’ का जाप और सूर्य देव को ‘ॐ घृणिः सूर्याय नमः’ मंत्र जाप करते हुए जल अर्पण करने से हमारे भाग्य में वृद्धि होती है।
4. सेवा भाव: गरीबों, ब्रह्माण, गुरु, गाय और साधु-संतों की सेवा में अपना समय और संसाधन समर्पित करने चाहिए। इससे न केवल समाज में समरसता बढ़ती है, बल्कि कठिनाइयों का निवारण होता है और जीवन के लिए शुभ फल मिलते हैं।
सूर्य देवता को अर्घ्य
खरमास में सूर्य देवता को हल्दी और गुड़हल के फूलों के साथ जल अर्पित करना शुभ माना जाता है। नियमित रूप से इस प्रक्रिया को अपनाने से समस्त मनोरथ सिद्ध होते हैं और सूर्य चालीसा का पाठ सुखदायक होता है।
इन उपायों को अपनाकर खरमास के दिनों को आध्यात्मिक और शुभ उपलब्धियों से भरपूर बनाइए। इससे न केवल आप पर सूर्यदेव और भगवान विष्णु की कृपा बरसेगी, बल्कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और संतुष्टि भी मिलेगी।
(h2)सावधानी और सतर्कता(/h2)
लेख में व्यक्त विचार और सुझाव वैदिक और आध्यात्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं। डीएनए हिंदी इनके सत्यापन का दावा नहीं करता है। उल्लेखित सभी क्रियाएं और प्रथाएं व्यक्तिगत विश्वास और परंपरा का हिस्सा होती हैं, और इन्हें निर्विवाद सच के रूप में प्रचारित नहीं किया जाता है। जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए इन्हें अपनाने से पूर्व व्यक्तिगत विवेक और समझ का इस्तेमाल करना उचित है।
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