नवरात्रि की पावन बेला में देवी उपासना
शक्ति की उपासना के अनुष्ठानिक महापर्व चैत्र नवरात्रि में हम पंचम दिवस पर पहुँच चुके हैं, जहाँ भक्तजन माँ दुर्गा की पाँचवी स्वरूप, माँ स्कंदमाता की अर्चना करते हैं। इस दिन की पूजा में विशेष रीति-नीति और सावधानियाँ बरती जाती हैं ताकि देवी माँ की अनुकम्पा से संतान प्राप्ति जैसी मनोकामनाएँ पूर्ण हो सकें।
माँ स्कंदमाता का दिव्य स्वरूप
माता के इस रूप में उनकी चार भुजाएँ दर्शनीय होती हैं जिनमें वह कमल पर विराजमान हैं और अपने दायें हाथ में छह मुखी भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को सुशोभित करती हैं। उनका वाहन सिंह है जिस पर बैठकर वह भक्तों के कष्टों का हरण करती हैं। माँ स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को आंतरिक शक्ति और प्रसन्नता प्राप्त होती है और इसी कारण आराधना में कमल के पुष्प का विशेष स्थान है।
पूजा विधान की रूपरेखा
नवरात्रि के इस पावन दिन की शुरुआत में भक्तजन प्रात: स्नान कर, पीले वस्त्रों का धारण करते हैं। माता रानी को लाल पुष्प अर्पण करने के साथ, विशेष रूप से केले का भोग लगाने का विधान है। आराधना में गंध, धूप, फूल, अक्षत, पान, लौंग, इलायची, सुपारी व बताशा समर्पित किए जाते हैं। पूजा का अत्यधिक महत्व रखते हैं धनुष बाण, जिन्हें अर्पित करने से मनोरथ सिद्ध होते हैं।
देवी मंत्र की महिमा
‘या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता’ – यह मंत्र जाप शक्ति साधना का केंद्रीय भाग होता है। मंत्र जाप से भक्त पर देवी की कृपा वर्षा होती है और उनके सभी दुःख दूर होते हैं। माँ स्कंदमाता के इस मंत्र को संपुटित करके जाप करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
आरती और भक्ति-संगीत
पूजन के समापन पर आरती गाई जाती है जिसमें माँ स्कंदमाता की महिमा का वर्णन होता है। आरती के मधुर गान से पूरा वातावरण देवीमय हो उठता है। भजन ‘जय तेरी हो स्कंद माता’ के माध्यम से माँ के प्रति अनुराग और श्रद्धा को प्रकट करते हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा से जुड़ी परंपराएँ, रीति-रिवाज और विधियों को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ अपनाकर भक्तजन अपनी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। देवी माँ के अद्भुत स्वरूप का आराधना, मंत्रों का जप, भोग एवं आरती के अनुष्ठान प्रत्येक वर्ष की नवरात्रि में हमें नई ऊर्जा, नई शक्ति और नए संकल्प के साथ जीवन की राह पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। माँ स्कंदमाता की शुभ आराधना से सभी भक्तों की साधना सफल और उनके द्वारा की गई प्रार्थनाएँ सिद्ध हो, यही कामना है।