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चैत्र नवरात्रि पर मां कुष्मांडा की पूजा के महत्व को जानें और विशेष मंत्र के साथ करें आराधना

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नवरात्रि का पावन पर्व

नवरात्रि का यह पर्व, जो हमें धार्मिक भावना और भक्तिमय वातावरण में ले जाता है, भारत में बहुत ही उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है। हर वर्ष चार बार आने वाले इस नवरात्रि के दौरान देवी माँ के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। इनमें दो गुप्त, एक शारदीय और दूसरे चैत्र नवरात्रि प्रमुख हैं। नौ दिवसीय यह उत्सव विधिवत पूजा-अर्चना, मंत्र और आरती के संग बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है, और इसे माता रानी की कृपा प्राप्ति का सबसे सुनहरा अवसर माना जाता है।

माँ कुष्मांडा की महिमा

इस वर्ष नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हुई है। नवरात्रि के तीसरे दिवस का समापन होते ही चौथे दिन आता है मां कुष्मांडा की पूजा का विशेष अवसर। प्रतिवर्ष, नवरात्रि के इस चौथे दिवस पर, देवी माँ की आराधना में विशेष तत्परता देखी जाती है। माँ कुष्मांडा की आठ भुजाएँ हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा कहा जाता है और इनकी सवारी सिंह है। मान्यता के अनुसार, मां कुष्मांडा ने अपनी मंद हास्य से सृष्टि का निर्माण किया था।

माँ कुष्मांडा की पूजा-विधि और भोग

पूजा की शुरुआत में, भक्तों को चाहिए कि वे शुद्धता का ध्यान रखें और स्नानादि से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें। माँ कुष्मांडा को पीले रंग की मिठाई, कुम्हडे की बलि और हलवे का भोग अतिप्रिय है। उनकी पूजा के साथ भक्तों को उन्हें प्रसाद स्वरुप पीली मिठाइयाँ चढ़ानी चाहिए, जिसके बाद माँ की कृपा से जीवन में सुख और शांति का निवास होता है।

मंत्र जाप और आरती

माँ कुष्मांडा की पूजा अर्चना में मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है। निम्न मंत्र का जाप करते हुए देवी की आराधना की जाती है:
“या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
इस मंत्र का जाप करने से माँ की दिव्य शक्तियाँ भक्त पर सक्रिय हो जाती हैं और वे उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं। इसके बाद देवी की आरती गायन की जाती है जिसमें उनके सृष्टि निर्माण और शक्ति की महिमा का गान होता है। नवरात्रि के इस चौथे दिवस पर माँ कुष्मांडा की आरती अत्यंत भावुकता और श्रद्धा के साथ गाई जाती है।

निष्कर्ष

इस तरह, चैत्र नवरात्रि पर मां कुष्मांडा के दिव्य स्वरूप की पूजा करके, भक्तों का जीवन सुख, सौभाग्य, शांति और समृद्धि से भर जाता है। मां अपने भक्तों पर कृपा रखती हैं और उनके जीवन से संकट और विपदाओं को दूर करती हैं। नवरात्रि के इस पावन पर्व पर यदि एक सच्चे मन और श्रद्धा से माँ की पूजा आराधना की जाए तो निश्चित ही व्यक्ति को चारों पुरुषार्थ—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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