kerala-logo

चैत्र नवरात्रि महोत्सव: सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का महत्व

Table of Contents

चैत्र नवरात्रि का सांस्कृतिक महत्त्व

भारतीय संस्कृति में चैत्र नवरात्रि का समय अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक माना जाता है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक, देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। इस अवधि में प्रत्येक दिन एक विशेष देवी का ध्यान किया जाता है, और सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा परम शुभ मानी जाती है।

मां कालरात्रि की अद्भुत छवि

मां कालरात्रि की मूर्ति बेहद शक्तिशाली और भय निवारणकारी होती है। ये देवी गधे पर सवार होकर अशुभ शक्तियों का नाश करने के लिए प्रतीक हैं। उनकी चार भुजाएं होती हैं, जिसमें वे अस्त्र-शस्त्र धारण किए होते हैं। उनके शरीर का रंग अंधेरे की तरह कृष्ण वर्ण होता है, जो अज्ञानता पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।

संकटों से उबारने वाली देवी

मां कालरात्रि को संकटों और विपत्तियों से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। इनकी उपासना करने से जीवन में आने वाली प्रत्येक बाधा, दुख और कष्टों का अंत होता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं और उनके सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं।

मां कालरात्रि के प्रिय भोग

महासप्तमी के अवसर पर भक्त देवी कालरात्रि को मिष्ठान्न का भोग लगाते हैं, खासकर गुड़ या गुड़ से बने व्यंजन जैसे गुड़ के चिल्ले, मालपुआ और पकोड़े उन्हें अतिप्रिय हैं। मां कालरात्रि को यह भोग अर्पित कर प्रसन्न करने से वह साधक पर अपनी असीम कृपा बरसाती हैं।

सिद्धि प्रदान करने वाले मंत्र

दुर्गा सप्तशती में वर्णित मां कालरात्रि के मंत्र ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नमः’ का जाप अत्यंत शक्तिशाली और सिद्धि दायक माना जाता है। साथ ही, ‘या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः’ स्तुति मंत्र का जाप करके भी मां की अनुकंपा प्राप्त की जा सकती है।

मां कालरात्रि की प्रभावशाली आरती

कालरात्रि की आरती करने से मां कालरात्रि की शक्ति का आह्वान होता है और यह भक्तों को मानसिक शक्ति प्रदान करती है। आरती के माध्यम से मां के अवतार महाकाली की महिमा का भी वर्णन किया जाता है, जो सभी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं और अपने भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की वर्षा करती हैं।

मां कालरात्रि की पूजा का महत्व और विधि-विधान के बारे में उपरोक्त जानकारी सामान्य पौराणिक आधार पर है और इसे व्यक्तिगत आस्था और विश्वास के अनुसार अमल में लाया जाना चाहिए। यदि आप विस्तृत विधान और नियमों का पालन करते हुए मां की उपासना करना चाहते हैं, तो किसी अनुभवी पंडित या धार्मिक गुरु की सलाह अवश्य लें। नवरात्रि के पावन पर्व का अधिकतम लाभ उठाने के लिए मां की पूजा-आराधना में समर्पित भाव से लीन होना चाहिए।

Kerala Lottery Result
Tops