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चैत्र नवरात्रि 2024: 30 वर्षों बाद आया अद्भुत संयोग कैसे करें पूजन व कलश स्थापना

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चैत्र नवरात्रि एवं हिंदू नववर्ष का भव्य प्रारम्भ

आगामी 9 अप्रैल को वैदिक भारतीय पञ्चांगानुसार हिंदू नववर्ष का उल्लासमयी आरंभ हो रहा है। इसी दिवस से, वसंतकालीन पावन पर्व, चैत्र नवरात्रि की प्रारंभिक प्रतिपदा तिथि पर मां दुर्गा की पूजा-आराधना और घट स्थापना की जाएगी। अनुष्ठान की अवधि 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक निर्धारित है।

30 वर्षों में पहली बार बन रहा अमृत सिद्धि योग

ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष की चैत्र नवरात्रि पर एक अद्वितीय योग का निर्माण हो रहा है जो पिछले तीस वर्षों में अनूठा है। यह महत्वपूर्ण योग है ‘अमृत सिद्धि योग’, जो कई प्रकार के शुभ फल प्रदान करता है और व्यक्ति की किस्मत के द्वार खोलता है। मां दुर्गा की साधना इस योग में विशेष फलदायी होती है।

अश्विनी नक्षत्र का शुभ प्रभाव

नवरात्रि का प्रारंभ मंगलवार से अश्विनी नक्षत्र के साथ होगा। यह नक्षत्र विशेषतः मंगलमय माना जाता है और इसमें किए गए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान का महत्व अति वर्धित हो जाता है। इस संबंध में ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार का कहना है कि अश्विनी नक्षत्र में माता की आराधना से मृत्यु तुल्य कष्टों का अंत हो जाता है।

नए संवत्सर के लिए विशेष पूजा विधियाँ

नए वर्ष के दिवस पर ब्रह्मा जी की पूजा और पंचांग की स्थापना की जाती है और उसके श्रवण की शुरुआत होती है। इस दिन पंचांग दान करने की परंपरा है जो अत्याधिक शुभ मानी जाती है। कहा जाता है कि इस दिन उठकर, ताजे जल से स्नान करने के पश्चात नए वस्त्र पहनने चाहिए।

माता के आगमन और प्रस्थान का महत्व

17 अप्रैल को 9 दिवसीय आराधना व हवन के साथ समापन होगा। पंचांग के अनुसार माता रानी इस बार घोड़े पर आ रही हैं, जिसे अशुभ माना जा रहा है और युद्ध का भय प्रदर्शित करता है। लेकिन जब माता हाथी पर प्रस्थान करेंगी तो ऋषिमुनियों के अनुसार खुशहाली और अच्छी वर्षा की अपेक्षा की जा सकती है।

चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त

चैत्र महीने में प्रतिपदा की शुरुआत 8 अप्रैल को रात्�्री 11 बजकर 50 मिनट पर होगी और यह 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट तक चलेगी। उदयातिथि के आधार पर, नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल को कलश स्थापना के साथ की �्रमाण होगी।

कलश स्थापना का शुभ समय

कलश स्थापना का मुहूर्त 9 अप्रैल को प्रातः 5 बजकर 52 मिनट से लेकर 10 बजकर 4 मिनट तक पहला मुहूर्त बन रहा है। उसके पश्चात, दोपहर 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक गठ बंधन कर सकेंगे।

हम अपने पाठकों को इस भव्य और दिव्य उत्सव की पूर्ण रूप से तैयारी करने की सलाह देते हैं और मां दुर्गा की सच्चे मन से आराधना करने का आग्रह करते हैं। समस्त हिंदू समुदाय को हमारी ओर से नववर्ष की शुभकामनाएं।

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