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चैत्र मास 2024: जानें कब से होगी चैत्र नवरात्रि की शुरुआत क्या करें और क्या नहीं

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चैत्र मास की महत्वपूर्ण तिथियाँ और धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में चैत्र मास को एक विशेष स्थान प्राप्त है, जिसका आगमन ही नववर्ष के रूप में देखा जाता है। इस वर्ष चैत्र मास 2024 (Chaitra Month 2024) का आरंभ 26 मार्च से होने जा रहा है, जो 23 अप्रैल तक रहेगा। चैत्र महीने की पहली तिथि का प्रारंभ होने के साथ ही चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होगी, जिसमें मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र महीने में ही ब्रह्माजी ने सृष्टि का सृजन किया था, इसलिए इस महीने का धर्मशास्त्रों में भी महत्व है।

भगवान राम और चैत्र मास का संबंध

चैत्र मास और भगवान राम के बीच एक अटूट संबंध है। रामायण के अनुसार, चैत्र मास के नवमी तिथि पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था और पहले दिन उनका राज्यभिषेक संपन्न हुआ था। इसी कारण इस महीने के पहले दिन को रामनवमी के रूप में भी मनाया जाता है। इस महीने में कई धार्मिक और लौकिक आयोजन होते हैं और किसान भी फसलों की कटाई करते हैं।

चैत्र मास में क्या करें और क्या नहीं

शास्त्रों के अनुसार, चैत्र मास में विशेष सावधानियाँ बरती जानी चाहिए। बासी भोजन का सेवन और अत्यधिक नमक का प्रयोग वर्जित है, क्योंकि इस समय पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है। इसी तरह, भोजन में दूध का परहेज़ और दही का सेवन लाभकारी माना जाता है। तले-भुने भोजन से भी दूर रहकर, फलों का सेवन पाचन के लिए बेहतर होता है।

वहीं, सकारात्मक कार्यों को करने पर जोर दिया जाता है। प्रातःकाल उठकर योग, प्रणायाम की प्रथा, सूर्य देव और श्री रामचंद्रजी की उपासना, और नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने में गौ सेवा और प्रकृति की रक्षा के कार्यों में संलग्न रहकर, धार्मिक पुण्य भी अर्जित किए जा सकते हैं। चैत्र महीने का पहला दिन मांगलिक और शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

ख़रमास का चैत्र नवरात्रि पर प्रभाव

इस साल चैत्र नवरात्रि के दौरान खरमास का साया भी मौजूद रहेगा, जिसके कारण कुछ शुभ कार्य नहीं संपन्न किए जा सकेंगे। खरमास उन महीनों को कहते हैं, जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में भ्रमण करते हैं और इस समय में नए निर्माण, विवाह आदि शुभ कार्यों को नहीं किया जाता है। हालांकि, नवरात्रि के अनुष्ठान और पूजा पाठ इस प्रभाव से मुक्त होते हैं।

चैत्र महीने की धार्मिक और सामाजिक मान्यताएँ अपने आप में विशिष्ट हैं। आधुनिक समय में भले ही कुछ परंपराएँ और नियम बदल चुके हैं, लेकिन धार्मिक उत्सव और पर्वों का महत्व और उत्साह अभी भी बरकरार है। चैत्र मास के दौरान संयम और नियमों के साथ आराधना करके अधिकांश लोग नववर्ष की शुभ शुरुआत करते हैं।

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