केमद्रुम योग का प्रभाव और उत्पत्ति
ज्योतिषीय विज्ञान में अलग-अलग योग का बड़ा महत्व है। इन्ही योगों में से एक है केमद्रुम योग, जिसे अशुभ माना जाता है। इस वर्ष 23 जनवरी से साक्षात् इस योग का आरंभ हो रहा है और यह 6 फरवरी तक रहेगा। अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा के चारों ओर कोई अन्य ग्रह नहीं है, तो ऐसे में केमद्रुम योग बनता है। इस दौरान जन्म लेने वाले बच्चों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
सक्रिय केमद्रुम योग वालों के लिए परेशानी
केमद्रुम योग के प्रभाव से जो लोग पहले से प्रभावित हैं, उन्हें इस समय में विशेष सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि इस अवधि में हानिकारक प्रभाव अधिक प्रबल होते हैं। केमद्रुम योग के कारण उत्साहहीनता और आलस्य व्यक्ति को घेर सकता है। ऐसी स्थिति में, सक्रिय रहने और निष्प्रभावित रहने का प्रयत्न करना चाहिए।
कर्क राशि वालों को सतर्क रहने की आवश्यकता
कर्क राशि के जातकों पर इस योग का अधिक प्रभाव पड़ सकता है। मानसिक स्तर पर मजबूत रहना और चुनौतियों का सामना करना इस दौर में जरूरी हो जाता है। ऐसे समय में अवसाद की संभावना से निपटने के लिए सकारात्मक सोच बहुत आवश्यक होती है।
वार्तालाप और यात्रा पर अशुभ प्रभाव
अक्सर कम बात करने वाले लोग इस दौरान अधिक बोलने लग सकते हैं, और मुस्कुराने पर मजबूर हो सकते हैं। अगर कोई यात्रा की योजना है, तो अनुकूल परिणाम के लिए उसे टाला नहीं जाना चाहिए।
स्वास्थ्य का ख्याल रखें
केमद्रुम योग का प्रभाव कर्क, सिंह और मेष राशि के जातकों की मां की सेहत पर भी पड़ सकता है। इसलिए केमद्रुम योग की अवधि में उन्हें अपनी मां का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है।
केमद्रुम योग से बचाव के उपाय
केमद्रुम योग का अशुभ प्रभाव कम करने के उपाय भी हैं। पूर्णिमा के दिन यदि व्यक्ति दान करे और चंद्रमा का दर्शन करे, तो यह अशुभ योग का प्रभाव कम करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
इस समय में जिन लोगों का जन्म होता है या जिन लोगों की कुंडली में केमद्म योग है, उन्हें विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। उक्त उपायों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति चलेगा, तो वे केमद्रुम योग के हानिकारक प्रभावों से खुद को बचा सकते हैं।