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तुलसी पूजा अनुष्ठान: जानिए मंजरी तोड़ने से संबंधित धार्मिक नियम इन दिनों संस्पर्श भी मना

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हिंदू धर्म में तुलसी का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

भारतीय संस्कृति में तुलसी का विशेष स्थान है। इसे न सिर्फ एक पावन पौधा माना जाता है, बल्कि हिंदू धर्म में तो तुलसी को देवी का दर्जा प्राप्त है। तुलसी की पूजा आस्था और श्रद्धा के साथ की जाती है और इसे घर में रखने के नियम भी बेहद विशिष्ट होते हैं। मान्यता है कि जिस घर में तुलसी की पूजा नियमित रूप से की जाती है, वहां संपत्ति और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का वास होता है।

तुलसी पूजा की विधि और तुलसी का रोपण

तुलसी का पौधा लगाने से लेकर उसकी पूजा तक, सभी कार्य विशेष विधानों के साथ किए जाते हैं। हमारे शास्त्रों में तुलसी की महिमा का गान किया गया है और इसे माता का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके प्रति आस्था को देखते हुए ही तुलसी को घरों में स्थान दिया जाता है। इस पवित्र पौधे को रोपण करने से वास्तु दोष दूर होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

तुलसी की मंजरी और पत्तियों के नियम

तुलसी के पौधे की देखभाल में बहुत सारी बारीकियां शामिल होती हैं। विशेष रूप से तुलसी की मंजरी का, जिसे शास्त्रों में तुलसी माता का सिर माना जाता है, और इसे समय रहते तोड़ने की सलाह दी जाती है। मंजरी जब भूरे रंग की हो जाएँ तो उन्हें तोड़ लेना चाहिए। ध्यान रहे कि रविवार या मंगलवार के दिन यह क्रिया निषिद्ध है। इसी प्रकार, तुलसी की पत्तियों को भी इन दो दिनों के अलावा किसी भी दिन तोड़ा जा सकता है। मंजरी को संग्रहित करते समय उन्हें लाल कपड़े में लपेट कर मंदिर में रखना शुभ माना जाता है।

तुलसी की पत्तियों के संदर्भ में एक और नियम है कि जब भी उन्हें तोड़ा जाए, उसे सुनिश्चित करें कि वे पैरों के नीचे न गिरें, क्योंकि इसे अपवित्रता का सूचक माना जाता है।

तुलसी पूजा के दिन जल अर्पण और मंजरी चढ़ाने का नियम

तुलसी की पूजा में हर दिन जल अर्पण का विशेष महत्व होता है। लेकिन, रविवार और मंगलवार को तुलसी को जल नहीं दिया जाता और न ही इन दो दिनों में तुलसी के पौधे को स्पर्श करना या पत्ते तोड़ना उचित माना जाता है।

तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इसका उपयोग विष्णु पूजा में किया जाता है। विशेष रूप् से द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु को तुलसी मंजरी चढ़ाने की परंपरा है। तुलसी माता को माँ लक्ष्मी का एक रूप माना जाता है, इसीलिए इसकी पूजा से देवताओं की कृपा बनी रहती है और दीपक जलाने की परंपरा भी चली आ रही है।

(विशेष सूचना: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इसके प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं की जा सकती है।)

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