पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व और परिचय
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिन्दू पंचांग के प्रत्येक माह में दो एकादशी आती हैं, जिसमें से पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2024 में, यह एकादशी जनवरी महीने की 21 तारीख, रविवार को मनाई जा रही है। इस व्रत को ध्यान से आचरण करने पर मनुष्य को संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसी कारण, पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से उन दम्पतियों द्वारा किया जाता है जो संतान की कामना रखते हैं। इस बार व्रत में वैकुंठ एकादशी भी आ रही है और कई शुभ योग बन रहे हैं जिससे इसकी महत्ता और भी बढ़ गई है।
पुत्रदा एकादशी 2024 के मुहूर्त और शुभ योग
इस वर्ष पुत्रदा एकादशी तिथि 20 जनवरी, शनिवार की शाम 07:26 से 21 जनवरी, रविवार की शाम 07:27 तक चलेगी। भक्तों को इस अवधि में ही व्रत का संकल्प लेना होगा और विधि-विधान से पूजा करनी होगी। रविवार का दिन होने के कारण और रोहिणी नक्षत्र में धाता नाम का शुभ योग अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही शुक्ल और ब्रह्म नामक दो योग भी इस दिन विद्यमान रहेंगे। व्रत का पारण 22 जनवरी, सोमवार की सुबह किया जाएगा।
पुत्रदा एकादशी व्रत-पूजा विधि
पूजा की शुरुआत करने के लिए, 21 जनवरी को सुबह स्नानादि की समाप्ति के पश्चात व्रत-पूजा का संकल्प लेना होगा। संकल्प लेते समय यह निर्धारित करें कि व्रत पूरे समय निराहार रहकर करने का इरादा है या एक समय भोजन करने का। तत्पश्चात, अपने घर में किसी शुद्ध और साफ स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें। लड्डू गोपाल की मूर्ति को भी वहीं स्थापित करना शुभ माना जाता है। प्रथम, कुमकुम से तिलक लगाएं और तत्पश्चात शुद्ध घी का दीपक जलाएं और भगवान को फूलों की माला पहनाएं। नैवेद्य के रूप में, माखन-मिश्री व तुलसी के पत्तों का भोग लगाएं। भगवान को पीले रंग के वस्त्र चढ़ाएं और अंत में आरती कर व्रत की पूर्णता करें। किसी भी व्रत का प्रमुख उद्देश्य अपने इष्ट देवता की आराधना करना और उनसे वरदान प्राप्त करना होता है।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन समय में, सुकेतुमान नामक एक बड़े शक्तिशाली राजा थे, जिनकी कोई संतान नहीं थी। इस कष्ट के कारण वे बहुत व्यथित थे और एक दिन जंगल में भटकते हुए वह ऋषियों के पास पहुँच गए जो वहाँ पर पवित्र सरोवर में स्नान करने आए हुए थे। राजा ने ऋषियों से अपने संतानहीन होने की समस्या का समाधान पूछा। ऋषियों ने उन्हें पुत्रदा एकादशी के व्रत की महिमा का वर्णन किया और उन्हें भी इसे ध्यानपूर्वक करने को कहा। राजा ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर इस व्रत को किया और इसके प्रभाव से उन्हें एक पराक्रमी, ख्यातिप्राप्त और प्रजा का प्यारा राजकुमार प्राप्त हुआ। इस व्रत कथा के माध्यम से भक्तों को यह आस्था मिलती है कि विष्णु भगवान की श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण हो सकती है।
हम आपको सलाह देते हैं कि इस व्रत को करते समय सभी नियमों का पालन करें और ध्यान से विधान से पूजा-अर्चना में लीन हों। इस व्रत को अनुष्ठान करने से सारी चिंताओं से मुक्ति और मन की शांति की प्राप्त होती है।