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बसंत पंचमी: पीले रंग का पर्व क्यों माना जाता है शुभ?

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माघ का महीना और पंचमी की पवित्रता

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आने वाला त्योहार बसंत पंचमी अपने आप में विशेष होता है। इस दिन भारतीय संस्कृति में विद्या, संगीत और कला की देवी, मां सरस्वती की पूजा की परंपरा है। इस पर्व को ऋतुराज वसंत के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है।

पीले रंग की परम्परा

बसंत पंचमी पर विशेष रूप से पीले रंग का महत्व है। पीले वस्त्र पहनने से लेकर मां सरस्वती को पीले रंग के चीजों से बना भोग लगाने तक, हर ओर इसी रंग की धूम रहती है। पर क्यों? आइए जानते हैं।

पीला रंग गर्मी और प्रकाश की तरह जीवन में उजाला और गर्माहट लाने का प्रतिक है। वसंत के आगमन के साथ ही पप्रकृति में पीले सरसों के खेतों का मनोरम दृश्य हमें देखने को मिलता है और पीले फूल खिलते हैं। इस रंग को ज्ञान, आशा और आनंद का प्रतीक भी माना जाता है। इन्हीं कारणों के चलते बसंत पंचमी के दिन पीला रंग प्रमुखता से देखा जाता है।

पीली चीजों का दान

इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करने के साथ-साथ पीली वस्तुओं को दान करने का भी विशेष महत्व होता है। यह मान्यता है कि इस दान से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है।

मां सरस्वती का पीले रंग का भोग

पीले रंग का प्रसाद बनाने और मां सरस्वती को अर्पित करने के पीछे भी विशेष भाव है। यह माना जाता है कि पीले रंग का भोजन बनाकर उसे देवी मां को अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा मिलती है, और वह ज्ञान, संगीत और कला के क्षेत्र में बरकत देती हैं।

वैज्ञानिक तर्क: पीला रंग क्यों है खास?

विज्ञान के अनुसार भी पीला रंग विशेष महत्व रखता है। जैसे कि पीला रंग मनोबल को बढ़ाता है, यह ऊर्जा का संचार करने में मदद करता है और व्यक्ति के मूड को संतुलित कर खुशहाली लाता है। इससे व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और सकारात्मक भावनाएँ जागृत होती हैं।

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

प्रत्येक त्योहार की अपनी विशेषता और मुहूर्त होता है और बसंत पंचमी पर भी एक विशेष शुभ मुहूर्त होता है, जिसमें माता सरस्वती की पूजा अर्चना करना अधिक शुभ माना जाता है।

मां सरस्वती की पूजा अर्चना का तरीका

इस पर्व पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि करके पीले रंग के वस्त्र धारण करें और मंदिर में साफ-सफाई करने के बाद मां सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करें। पीले रंग की रोली, पीले फूल, अक्षत, मिठाई के साथ दीप प्रज्वलित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी सरस्वती प्रसन्न होकर सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

ध्यान रहे कि यहाँ दी गई जानकारियाँ सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं और ये हर व्यक्ति और संस्कृति की निजी आस्था और परंपराओं पर निर्भर करती हैं। अंततः बसंत पंचमी हमें जीवन में नवीनता, आशा और उत्साह का संदेश देती है और प्रकृति के साथ हमारे तालमेल को दर्शाती है।

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