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भदेश्वर नाथ: जहां राम और रावण ने की शिव की अराधना मुरादें होती हैं पूरी

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भक्ति के सागर महादेव

प्राचीन भारतीय ग्रंथों से लेकर लोककथाओं तक, भगवान शिव की उपासना की गूँज हमेशा सुनाई देती है। शिव—आदियोगी, महादेव, भोलेनाथ—विभिन्न नामों से पुकारे जाने वाले इस देवता की पूजा हर युग, हर काल में की गई है। उनके भक्तों में राजा से लेकर रंक तक शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक ऐसा ही पवित्र स्थल है जिसे भदेश्वर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर शिवपुराण जैसे पवित्र ग्रंथों में वर्णित है। यहाँ की लोक कथाएँ बताती हैं कि श्री राम और रावण—दोनों ने इस मंदिर में शिव की अराधना की थी।

त्रेतायुग से कलयुग तक

त्रेतायुग में, जिसे रामायण के युग के रूप में जाना जाता है, भगवान श्री राम और लंका के राजा रावण ने भदेश्वर नाथ मंदिर में शिवलिंग की पूजा की थी। द्वापर युग में, जिसे महाभारत का काल कहा जाता है, पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस शिवलिंग का अभिषेक किया था। साथ ही, श्री राम के गुरु, महर्षि वशिष्ठ भी यहाँ शिव की पूजा करने आते थे।

शिवलिंग का स्वयं प्रकट होना

यह मंदिर महत्वपूर्ण है क्योंकि वहां स्थापित शिवलिंग माना जाता है कि स्वयं प्रकट हुआ था। कुछ पौराणिक गाथाओं के अनुसार, रावण इस शिवलिंग को कैलाश से लंका ले जा रहे थे और उन्होंने विश्राम के लिए इसे यहाँ रखा, जहाँ यह स्थापित हो गया।

मंदिर के चमत्कारिक किस्से

एक अनोखी विशेषता यह है कि इस शिवलिंग को कोई भी दो हाथों से पकड़ नहीं सकता है। यह आकार में इतना बड़ा है कि जो भी इसे छूने की कोशिश करता है, वह हमेशा इसे पूरी तरह से अपनी बाहों में समेटने में असमर्थ रहता है।

भदेश्वर नाथ मंदिर और उसकी मान्यताएँ

भदेश्वर नाथ मंदिर के शिवलिंग से जुड़ी और भी कई अलौकिक कथाएँ हैं। कहा जाता है कि ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने इसे काटने की कोशिश की थी, परन्तु वे नाकामयाब रहे। एक और कथा में यह बताया जाता है कि एक व्यक्ति ने शिवलिंग की चोरी की कोशिश की थी, परन्तु वह असफल रहा क्योंकि शिवलिंग का कोई अंत नहीं मिला। ऐसे कई रहस्य हैं जो इस स्थान को और भी दिव्य बनाते हैं।

महाशिव रात्रि और श्रावण का महत्व

महाशिवरात्रि और श्रावण मास के दौरान यहाँ भक्तों का सैलाब उमड़ता है। इस समय में यहाँ आकर शिव की आराधना करनेवालों की मनोकामनाएँ पूर्ण होने की मान्यता बहुत प्रचलित है। दूर-दूर से आए श्रद्धालु, अयोध्या की पवित्र सरयू नदी से जल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।

संक्षेप में, भदेश्वर नाथ मंदिर न केवल एक पौराणिक स्थल है, बल्कि एक ऐसा स्थान है जो विभिन्न युगों से भक्ति और आस्था का केंद्र रहा है।

नोट: भदेश्वर नाथ मंदिर और यहाँ के चमत्कार के बारे में दी गई जानकारी लोकमान्यताएँ और प्रचलित कथाओं पर आधारित है।

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