कलियुग के देवता हनुमान
हिन्दू धर्म में हनुमानजी की गहरी महत्ता है, खासकर कलियुग में जहाँ वे साक्षात देवता माने जाते हैं। इनकी उपासना से अध्यात्मिक शक्ति और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है। इस लोक में जहाँ अव्यवस्था और अंधेरा व्याप्त है, वहाँ हनुमानजी प्रकाश की किरण की भांति अपने भक्तों के जीवन में आशा की ज्योति जलाते हैं।
मंगलवार का दिन हनुमानजी की उपासना के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा आराधना करने पर मारुति नंदन की अपार कृपा प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से भक्तों के सभी कष्टों का निवारण होता है।
हनुमानजी के प्रभावशाली मंत्र
संकटमोचन हनुमानजी के कुछ चमत्कारी मंत्र हैं जिनका पाठ करने से भय, संकट और शत्रुता का नाश होता है। ये मंत्र एक तरह से दिव्य शक्तियों के स्रोत हैं जो अपने जापक को कठिनाइयों से मुक्ति दिलाते हुए उनके जीवन को सुखमय बनाते हैं।
“ॐ हनुमते रुद्रतकाय हुं फट्” का जाप करने से शत्रुता और वीर संकट से रक्षा होती है। यह मंत्र शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का माध्यम बनता है।
“ॐ हा हनुमते नमः” – यह मंत्र उन लोगों के लिए एक आशा की किरण है जो कानूनी उलझनों और कोर्ट-कचहरी के मामलों में फंसे हैं। इस मंत्र की सिद्धि से न केवल न्यायिक प्रक्रिया में लाभ होता है, बल्कि फैसला भी जापक के पक्ष में आने की संभावना बढ़ जाती है।
“ॐ नमो भगवते हनुमते नमः” – का जाप परिवार में सुख और शांति लाने के लिए अत्यंत फलदायी है। इसके जाप से भक्तों के घर-परिवार में आनंद और समृद्धि का संचार होता है।
“मनोजवन् मारुतुलायवेगा, जीतेन्द्रिय बुद्धिमत वरिष्ठ, वातात्मजं वानरुत्मुख्य, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।” – इस दिव्य मंत्र का पाठ करने वाले भक्त पर हनुमानजी की असीम कृपा होती है। इससे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनके दुःख-दर्द का अंत होता है।
“ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुशहरणै सर्वरोग हरय सर्ववशीकरणाय रामदूतै स्वाहा।” – इस मंत्र के जाप से सभी प्रकार के शत्रु और बीमारियाँ मिटती हैं। यह मंत्र जापक को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाने का एक महाउपाय है।
निष्कर्ष
यद्यपि यह लेख वैदिक मान्यताओं पर आधारित है, फिर भी इस प्राचीन ज्ञान की मान्यता आज भी कईयों के लिए जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हनुमानजी की उपासना और मंत्र जाप से सुख और शांति प्राप्ति की प्राचीन परंपरा का अनुसरण आज भी कायम है, और शायद भविष्य में भी इसकी प्रासंगिकता बरकरार रहेगी।