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महाराष्ट्र में सत्ता का संग्राम: विधान परिषद चुनाव

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महाराष्ट्र में सियासी उठा-पटक

महाराष्ट्र राजनीति में एक बार फिर से सियासी उठा-पटक का माहौल है। दो साल पहले, ऐसी ही स्थिति में महा विकास अघाड़ी (MVA) की सरकार गिर गई थी, जब शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी थी। और अब, एक बार फिर महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनाव समकालीन राजनीति के ताने-बाने को प्रभावित करने जा रहे हैं।

किसका दांव, किसकी चाल

इस बार प्रमुख मुद्दा विधान परिषद की 11 सीटों पर चुनाव है जो शुक्रवार, 12 जुलाई को हो रहे हैं। MVA ने तीन प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं और सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले महायुति ने नौ। बीजेपी के पास 200 से अधिक विधायक हैं, जबकि MVA के पास 66 विधायक हैं। ऐसे में क्रॉस वोटिंग का डर बना हुआ है।

क्रॉस वोटिंग का डर, विधायक होटलों में

उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने अपने विधायकों को एयरपोर्ट के पास एक पांच-सितारा होटल में ठहराया है। शिवसेना के विधायक बांद्रा के एक पांच-सितारा होटल में मौजूद हैं और बीजेपी विधायकों को भी एक पांच-सितारा होटल में ठहराया गया है।

सत्तारूढ़ महायुति का दांव

बीजेपी ने पंकजा मुंडे, योगेश तिलकर, परिणय फूके, अमित गोरखे, सदाभाउ खोट जैसी प्रमुख हस्तियों के साथ मैदान में उतरने का फैसला किया है। इसके अलावा, शिवसेना द्वारा पूर्व लोकसभा सदस्य कृपाल तुमाने और भावना गवली को प्रत्याशी बनाया गया है। एनसीपी ने शिवाजीराव गरजे और राजेश वितेकर को मैदान में उतारा है।

विपक्ष की रणनीति

शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने अपने विधायकों के साथ डिनर बैठक की है, जिसमें पार्टी के 11 विधायक शामिल हुए। अगले दिन चार और विधायकों ने साथ दिया। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने भी अपनी पार्टी के विधायकों के लिए डिनर बैठक आयोजित की और पार्टी के सभी विधायकों को एमवीए उम्मीदवारों को वोट देना अनिवार्य कर दिया।

विधानसभा में संख्या का खेल

विधानपरिषद के इस चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल 288 सदस्यीय विधानसभा है, हालांकि फिलहाल प्रभावी संख्या 274 है। हर विजयी प्रत्याशी को प्रथम वरीयता के 23 मत चाहिए होंगे। बीजेपी के पास 103, शिवसेना के पास 38, एनसीपी के पास 42, कांग्रेस के पास 37, शिवसेना (यूबीटी) के पास 15 और एनसीपी (एसपी) के पास 10 सदस्य हैं।

राजनीतिक परिदृश्य

विधानपरिषद के 11 सदस्य 27 जुलाई को अपना छह साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। इसमें शामिल अविभाजित शिवसेना की मनीषा कायंदे और अनिल परब, कांग्रेस के पी सातव, वजाहत मिर्जा, एनसीपी के अब्दुल्ला दुर्रानी, बीजेपी के विजय गिरकर, निलय नाइक, रमेश पाटिल, रामराव पाटिल, और राष्ट्रीय समाज पक्ष के महादेव जानकर, पीडब्ल्यूपी के जयंत पाटिल शामिल हैं।

संभावित परिणाम

इस चुनाव के बाद किस पार्टी की स्थिति मजबूत होगी और कौन सत्ता में बना रहेगा, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। शुक्रवार को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक वोटिंग होगी और शाम पांच बजे से वोटों की गिनती शुरू होगी। क्रॉस वोटिंग की संभावना के चलते सभी ने अपने विधायकों को सुरक्षित ठहराया है और यह सियासी संग्राम महाराष्ट्र की सत्ता का नया चेहरा तय करेगा।

महाराष्ट्र में इस तरह की राजनीतिक हेरा-फेरी और खेल ने यह साबित कर दिया है कि सत्ता की दौड़ कभी खत्म नहीं होती। हर चुनाव एक नए संकट और एक नई संभावना को जन्म देता है, और विधान परिषद के ये चुनाव भी इससे अछूते नहीं हैं।

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