हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण समझा जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह त्योहार बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिवस पर भगवान शिव और माता पार्वती का पवित्र विवाह संपन्न होने के साथ-साथ शिव का ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकट होना, हमारी संस्कृति में उल्लेखित है। यह शुभ घटना इस विशेष दिन को और भी उत्तम बनाती है।
कहा जाता है कि इस पर्व पर भगवान शिव और माता पार्वती की सच्चे मन और श्रद्धा के साथ की गई पूजा व्यक्ति के सभी कष्टों को हर लेती है, और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। लेकिन शिव पूजा में कुछ ऐसी आदतें और क्रियाएं हैं, जिनसे परहेज करना चाहिए, अन्यथा इससे पवित्र पूजा के पुण्य भी पाप में परिणित हो सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार बताती हैं कि महाशिवरात्रि के पूजन में निम्नलिखित 6 गलतियों से बचना अत्यावश्यक है:
शिवलिंग की पूरी परिक्रमा न करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करना वर्जित है क्योंकि इससे भगवान शिव का कोप भाजन बनने का भय रहता है। यह पूजा में दोष लगा सकता है और व्यक्ति को जीवन में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।
शंख से न करें अभिषेक
शंख के उपयोग से होने वाला अभिषेक शिव पूजन में मना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शंख नामक असुर का वध शिव ने किया था, अतः उनकी पूजा में शंख का उपयोग वर्जित है।
वर्जित सामग्री का प्रयोग न करें
भोलेनाथ को चढ़ाने के लिए हल्दी, कुमकुम, रोली और टूटे हुए चावल का प्रयोग न करें। ये सभी चीजें स्त्री तत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं और भगवान शिव को अर्पित नहीं की जानी चाहिए।
बेलपत्र की सही विधि
भगवान शिव को प्रिय बेलपत्रों की अर्पण सही तरह से होनी चाहिए। फटे या छेद वाले बेलपत्र नहीं चढ़ाने चाहिए।
तुलसी और केतकी के पत्ते न चढ़ाएं
तुलसी और केतकी के पत्ते शिव पूजा में वर्जित हैं, इनका प्रयोग न करें।
अर्पित करने के लिए शुभ सामग्री
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भांग, धूतरा, आक, शमी और बेलपत्र के पत्ते आदि शिवलिंग पर अर्पित करें।
ये जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित होती हैं, और आपको सही अर्थों में गहराई से समझने और श्रद्धानुसार पूजा करने की सलाह दी जाती है। इस महाशिवरात्रि पर शिव भक्तों को हमारी तरफ से शुभकामनाएं। आपके जीवन में सदैव शिव की कृपा बनी रहे। ओम नमः शिवाय!