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मार्च के महीने में उत्सवों की रौनक_ विजया एकादशी से होली तक के आनंदोत्सव

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मार्च के महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत

मार्च का महीना अपने साथ विविध पर्वों और व्रतों की उमंग लाता है। इस महीने में अनेक हिंदू त्योहार मनाए जाते हैं जैसे कि विजया एकादशी, महाशिवरात्रि, होलिका दहन, और होली जैसे प्रमुख उत्सव, जो समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों को संजीवनी प्रदान करते हैं। इन त्योहारों की तैयारियों में लोग काफी समय पहले से जुट जाते हैं और पारंपरिक रीतियों को निभाने के साथ ही साथ परिवार और समुदाय के साथ खुशियां बांटते हैं।

विजया एकादशी की विशेषता

महीने की शुरुआत में विजया एकादशी का पर्व आता है, जिस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। यह व्रत जीवन में जीत की प्राप्ति और संकटों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ भी किया जाता है।

महाशिवरात्री: शिव की अनुपम भक्ति

मार्च महीने के अत्यंत शिवभक्ति पर्व, महाशिवरात्री, का अपना ही एक अलग महत्व है। शिवालयों में भक्तों की भीड़, रुद्राभिषेक की पवित्रता, व्रत और जागरण की परंपरा इस दिन को और भी खास बनाती है। शिव अराधना से जीवन में सुख-शांति की कामना की जाती है।

फाल्गुन अमावस्या: पितृ तर्पण का अनुष्ठान

फाल्गुन अमावस्या पर पितृ तर्पण करने की परंपरा है। इस शुभ दिन पर नदी स्नान, दान-पुण्य और श्राद्ध जैसे कर्म किए जाते हैं ताकि पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

आमलकी एकादशी: आमलकी वृक्ष की पूजा

आमलकी एकादशी पर आमला वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से भक्तों को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

होलिका दहन और पूर्णिमा का उत्सव

होलाष्टक के अंतिम दिन होलिका दहन किया जाता है और यह दिन फाल्गुन पूर्णिमा भी होता है। इस दिन होलिका दहन के माध्यम से बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया जाता है और श्रीराधा और कृष्ण की भी पूजा की जाती है।

होली: रंगों का पर्व

होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार होता है। यह वसंत ऋतु के आगमन और रंगों का त्योहार है। होली में दोस्ती और भाईचारे की भावना के साथ लोग एक-दूजे पर रंगों की बौछार करते हैं।

संकष्ठी चतुर्थी: गणेश उपासना का दिन

मासिक संकष्ठी चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा-अर्चना का खास महत्व होता है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को गणेश जी की कृपा और बुद्धिमत्ता की प्राप्ति होती है।

अंत में, मार्च महीने में पड़ने वाले ये त्योहार हमारी परंपराओं को संजोने और जीवन में आनंद लाने का सुंदर अवसर प्रदान करते हैं। यह पर्व और व्रत हमें आत्मिक और पारस्परिक संबंधों को मजबूत करने का भी संदेश देते हैं।

Disclaimer: इस आलेख में दिये जानकारी कुछ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं, जिसकी पुष्टि और सत्यापन के लिए आधिकारिक स्रोतों का संदर्भ लेना उचित है।

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