हिंदू धर्म में पूजा के नियम और महत्व
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के प्रति भक्तों का समर्पण एक अलग ही आध्यात्मिक भाव को जन्म देता है। इसदिन भगवान शिव की अर्चना की अपनी एक विशेष रीति है, जिसका वर्णन वेदव्यास द्वारा लिखित शिवपुराण के सोलहवें अध्याय में मिलता है। इस प्राचीन ग्रंथ में मूर्ति पूजा और शिवलिंग पूजा की प्रक्रिया और महत्व का बखान किया गया है। महाशिवरात्रि, जो कि 8 मार्च 2024 को मनाई जाएगी, वह दिन होता है जब विशेष रूप से शिवलिंग की पूजा की जाती है।
शिवपुराण कहता है कि यदि आप शिवलिंग या किसी भी देवी-देवता की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा करते हैं तो आपकी पूजा सफल होती है और आपकी मनोवांछित कामनाएं पूरी होती हैं। शिवपुराण के अनुसार, मूर्ति बनाने के लिए पवित्र स्थलों से मिट्टी ली जानी चाहिए और उसमें सुगंधित द्रव्य मिलाकर उसे शुद्ध करके, मूर्ति बनाई जानी चाहिए।
पूजा की सही प्रक्रिया
शिव पुराण में शिवलिंग के साथ-साथ गणेश, पार्वती, सूर्य, विष्णु की पूजा कि विधियों का भी वर्णन किया गया है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए सोलह उपचारों से की गई पूजा अत्यंत फलदायी होती है।
देवताओं द्वारा स्थापित शिवलिंग पर विशेष प्रकार के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। स्वयंभू शिवलिंग, जो स्वतः प�र्कट हुए हैं, की विधि-पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। इन विधियों का पालन करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
शिवलिंग पूजा के नियम
शिवलिंग पूजा में हर एक बारीकी का ध्यान रखा जाता है। जल चढ़ाते समय तेज धार से जल नहीं चढ़ाना चाहिए और जलहरी में पूजा का सामान ना रखें। परिक्रमा करते समय भी जलहरी को ना छुएं और हमेशा आधी परिक्रमा करें। उत्तर दिशा की ओर शिवलिंग की पूजा करना अत्यधिक शुभ माना गया है। शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ‘ॐ पार्वतीपतये नम:’ का मंत्र जरूर उच्चारण किया जाना चाहिए। इसके अलावा, धातु से बने शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद को खाया जा सकता है लेकिन अन्य शिवलिंग का प्रसाद नहीं खाना चाहिए।
शिवलिंग का आध्यात्मिक महत्व
शिवलिंग का महत्व शिव के मोक्षप्रद स्वरूप से जुड़ा है। यह जगत के जन्मदाता का प्रतीक है, जहां शिव और शक्ति दोनों समाहित हैं। संपूर्ण जगत को बिंदु (शक्ति) और नाद (शिव) के स्वरूप में वर्णित किया गया है। जगत के प्रतीक के रूप में, शिवलिंग पूजा का विशेष स्थान है। शिव और शक्ति की यह अद्भुत दिव्यता भक्तों को जन्म-जन्मांतर के बंधन से मुक्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
शिवलिंग का अभिषेक
शिवलिंग के अभिषेक के लिए पंचामृत से पूजा करना श्रद्धा का एक विशेष उपाय है। गाय के दूध, दही, घी, शहद और चीनी मिलाकर तैयार किए गए पंचामृत को शिव पर अर्पित करने के साथ, भक्तों को ‘ॐ’ का जाप भी करना चाहिए। इस पवित्र प्रक्रिया के माध्यम से भक्त मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान शिव की पूजा करते हैं।
यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं और इसकी पूर्ण पुष्टि के लिए शिवपुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन आवश्यक है।