रमजान के चाँद की दिदारी और उपवास की शुरुआत
पूरे विश्व में इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना, रमजान, अपने पवित्र महीने के रूप में मनाया जाता है और यह हर मुसलमान के लिए खास और पवित्र माह होता है। यह महीना न केवल उपवास, प्रार्थना और आत्म-तपस्या का समय है, बल्कि यह वह समय भी होता है जब मुस्लिम समुदाय खुदा की रहमत की बरसात में भागीदार बनते हैं।
सऊदी अरब में जैसे ही रमजान के चांद की दिदारी हुई, उसके साथ ही वहां के मुस्लिम ने अपने पहले रोजा की तैयारियां शुरू कर दीं। इस साल, चांद 10 मार्च को नजर आया, जिसका मतलब है कि 11 मार्च से सऊदी अरब में रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत हो गई है। इसके अगले ही दिन, यानि 12 मार्च से, भारत समेत पाकिस्तान और अन्य देशों में बसे मुसलमान भी इस पवित्र उपवास की शुरुआत करेंगे।
उपवास का महत्व
रमजान के पूरे महीने में, सुबह से लेकर शाम तक, यानी सूर्योदय से पहले सहरी खाने के बाद से लेकर सूर्यास्त पर इफ़्तारी तक, मुसलमान उपवास रखते हैं। इस दौरान खाने-पीने से परहेज के साथ-साथ, अच्छे कर्म, दान-धर्म, और अधिक-से-अधिक नमाज़ पढ़ने पर जोर दिया जाता है। यह महीना आत्मिक शुद्धि और लगातार खुदा के साथ जुड़ाव का महीना होता है।
चांद और उपवास की परंपरा
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान का महीना ही वह समय होता है जब कुरान की पहली आयतें मोहम्मद साहब को नाजिल हुई थीं और इसीलिए साल के इस समय को बेहद पवित्र माना जाता है। चांद का दिखाई देना, जिसे ‘हिलाल’ कहा जाता है, इस धार्मिक क्रिया का एक अहम हिस्सा है। चांद के दिखने के बाद ही रोजेदार अपने उपवास की शुरूआत करते हैं, जो कि ईद उल-फ़ित्र की सुबह तक जारी रहता है।
ईद अल-फित्र का इंतज़ार
हर साल रमजान के महीने के अंत में ईद अल-फित्र के पर्व की बहुत प्रतीक्षा होती है। यह त्योहार भी चांद के दर्शन पर निर्भर करता है। तीसवें दिन या उससे पहले की रात को चांद के दिखाई देने पर ईद की तारीख निर्धारित होती है। इस बार ईद अल-फित्र का त्योहार 9 या 10 अप्रैल को मनाया जाएगा, यह भी चांद पर निर्भर करता है।
इस महीने के दौरान, सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ विशेष रूप से पढ़ी जाती है, जो कि कुरान की आयतों (सूरा) का पाठ होता है। रमजान के महीने के दौरान मुस्लिम समुदाय में बहुत अधिक एकता और समर्थन की भावना होती है। सभी उम्र के लोग, शहर से लेकर गांवों तक में, एक साथ आते हैं, एक दूसरे की मदद करते हैं और एक दूसरे के लिए दुआएँ मांगते हैं।
रमजान का महीना भले ही एक उपवास का समय हो, लेकिन यह समय सामाजिक सद्भाव और समुदाय की भावना को भी मजबूत करता है। इस महीने की समाप्ति पर ईद के माध्यम से खुशियां मनाई जाती हैं और उपवास के पवित्र महीने का सम्मान किया जाता है।