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रामनवमी 2024: जानिए इस पावन पर्व पर कैसे मिले अनेक शुभ योग

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भारतवर्ष में रामनवमी का उत्सव

भगवान श्री राम का जन्मदिन अर्थात् रामनवमी इस साल धार्मिक भावना, भक्ति और उल्लास के साथ पूरे देश में मनाया गया। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में आती इस तिथि को सजीव करता है राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर जन्में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का पावन चरित्र। तभी से यह दिवस श्रीरामनवमी के रूप में देशवासियों द्वारा पर्व के रूप में मनाया जाता है।

अयोध्या की रामनवमी

इस बार की रामनवमी की सबसे विशेष बात रही है अयोध्या के भव्य राममंदिर में रामलला का सूर्य तिलक। भगवान के भक्तों ने इसे बहुत बड़े पैमाने पे मनाया और पूरे नगर में त्योहारी माहौल देखा गया।

शुभ योगों की अभूतपूर्व संयोग

ज्योतिषियों के अनुसार, इस वर्ष रामनवमी पर कुछ विशेष शुभ योग बन रहे हैं जो अद्भुत हैं और इन्हें मांगलिक और कल्याणकारी माना जाता है। ये योग हैं- सर्वार्थ सिद्धि योग, गजकेसरी योग, आश्लेषा नक्षत्र और रवि योग। इन योगों का प्रभाव अत्यंत शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि इन योगों में पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रामनवमी पूजन का शुभ समय इस बार 17 अप्रैल की सुबह 11 बजकर 1 मिनट से दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस संक्षिप्त अवधि को भगवान राम की अराधना के लिए अति उत्तम माना गया है।

रामनवमी की पूजा विधि की शुरुआत होती है ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, सभी वैयक्तिक क्रियाओं को संपन्न कर निर्मल स्नान से। फिर, पूजन की तैयारी में राम चित्र या विग्रह की स्थापना करके आसन पर बैठकर शांत मन से अर्चना की जाती है। दूध, फूल, फल और मिठाई से भगवान का अभिषेक किया जाता है और अंत में आरती और मंत्रोच्चार के साथ पूजन सम्पन्न कर, प्रसाद वितरण किया जाता है।

रामनवमी का महत्व और परंपराएँ

रामनवमी की महानता केवल एक तिथि तक ही सीमित नहीं है, यह अध्यात्म, सत्य, धर्म, वीरता और प्रेम की महिमा को प्रकट करता एक ऐसा पर्व है जिस पर सभी वर्गों और आयु के लोग भक्तिभाव से लिप्त होकर उत्सव मनाते हैं। रामनवमी पर भजन, कीर्तन और राम कथा का पाठ विशेष रूप से किया जाता है।

इस दिन विविध दान पुण्य के कार्य भी किए जाते हैं। पत्तलों और भंडारों में प्रसाद वितरित करना, गरीबों को भोजन कराना और दीन-दुखियों की सेवा करना इस पावन पर्व की खासियत है। श्रीराम के दिव्य गुणों का स्मरण करते हुए श्रद्धालु उनके नित्य जीवन में अनुकरणीय बनने का प्रयास करते हैं।

हमारी इस लेख में दी गई सूचनाएं धर्म और आस्था की धाराओं से मिल कर बनी हैं और इसमें उल्लेखित योगों और पूजा विधियों की प्रामाणिकता का दावा नहीं किया जाता। यह विवरण मात्र धार्मिक श्रद्धा को दर्शाते हैं।

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