शनि देव: कर्मों के न्यायाधीश
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को कर्मों के फलदायक और न्याय करने वाले देवता के रूप में वर्णित किया गया है। शनि का प्रभाव जिस व्यक्ति पर शुभ हो, वह अपने पुरुषार्थ से सर्वोच्च शिखरों को छू सकता है। बावजूद इसके, उनकी अकुदृष्टि या साढ़े साती और ढैय्या के प्रकोप को उतारने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं।
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव
शनि की साढ़ेसाती, जो सात और आधे साल के लिए रहती है और ढैय्या जिसकी अवधि ढाई साल की होती है, ये दोनों जीवन में कठिनाइयां लाते हैं। इस दौरान व्यक्ति को मानसिक विकार, आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएं और सामाजिक मान-प्रतिष्ठा में हानि जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपाय
शनि देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। यहाँ कुछ सिद्ध उपाय दिए गए हैं, जिन्हें आजमाकर व्यक्ति शनि देवता की कृपादृष्टि प्राप्त कर सकते हैं:
– हनुमान चालीसा का पाठ करें, जिससे शनि के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। सूर्यास्त के बाद हनुमानजी की पूजा से शनिदेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
– शनिदेव की मूर्ति या चित्र के समक्ष सिंदूर, सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाएं। साथ ही, पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी बहुत लाभकारी होता है।
– काली गाय की सेवा करके और उसे चारा या रोटी खिलाकर, और उसके माथे पर रोली से टीका लगाकर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती के प्रकोप को कम कर सकते हैं।
– सुबह उठकर स्नान के बाद ध्यान करें और शनि मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे शनिदेव की दुर्दृष्टि दूर होती है और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
– भैरव बाबा की उपासना करके और शाम के समय तिल के तेल का दीपक जलाकर शनि दोष से राहत पा सकते हैं।
– पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे दीपक जलाने के साथ-साथ दूध और धूप चढ़ाएं, यह शनि की नाराजगी को दूर करने और उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।
ये उपाय शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए जनमानस में प्रचलित हैं और कई लोगों ने इन उपायों से लाभ उठाया है। इन उपायों का पालन करते समय श्रद्धा और विश्वास का भाव रखना अति आवश्यक होता है। शनिदेव की कृपा और आशीर्वाद से जीवन में सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
Disclaimer: उपरोक्त जानकारियाँ हमारी सामान्य मान्यताओं और ज्ञान पर आधारित हैं, DNA हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता। आप इन्हें अपने विवेक और समझदारी के साथ अपनाएं।
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