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षटतिला एकादशी 2024: जानें व्रत और पूजा का महत्व शुभ मुहूर्त और तिल दान के लाभ

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षटतिला एकादशी: भक्तिमय व्रत और पूजा की परंपरा

भारतीय सनातन धर्म में व्रत और त्यौहारों का विशेष स्थान है, जिसमें एकादशी के व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी पर भक्तगण भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और नियमों के साथ व्रत रखते हैं। इनमें से एक विशेष एकादशी है षटतिला एकादशी, जिसे माघ कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। यह एकादशी अपने साथ समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना लेकर आती है।

षटतिला एकादशी का समय और तिथि

हिन्दू पंचांग के अनुसार, 2024 में षटतिला एकादशी 5 फरवरी की शाम से प्रारंभ होकर 6 फरवरी को समाप्त होगी। इस अवधि में भक्त उपवास रखेंगे और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करेंगे।

एकादशी व्रत का पारण समय

व्रत का पारण अर्थात व्रत खोलने का समय 7 फरवरी को सुबह 7:06 से 9:18 तक रहेगा। इस समय के दौरान व्रतीजन पूजा अर्चना के साथ व्रत का पारण कर सकते हैं।

षटतिला एकादशी का पवित्र महत्व

षटतिला एकादशी को विशेष रूप से तिल दान करने के लिए जाना जाता है। ‘षट’ का अर्थ होता है ‘छह’ और ‘तिल’ का प्रयोग इस दिन छह अलग अलग रूपों में किया जाता है। तिल के द्वारा शरीर की मालिश, तिल का दान, तिल से बनी वस्तुओं का सेवन, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल का हवन और पितरों को तिलार्पण इस दिन किए जाने वाले छह कर्म होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए तिल के दान से सभी प्रकार के पापों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

व्रत और पूजा की विधि

इस पवित्र व्रत की आरंभिक विधि होती है संकल्प के साथ उपवास का शुरुआत करना। सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और विधिवत भगवान विष्णु की पूजा करें। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को चावल सहित तमसी भोजन से परहेज करना चाहिए और केवल फलाहार करना चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्रनाम या अन्य विष्णु मंत्रों का जाप विशेष रूप से लाभप्रद माना गया है।

षटतिला एकादशी के लाभ

षटतिला एकादशी का व्रत रखने और तिल से जुड़े दान करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत मन, वाणी और शरीर को पवित्र करता है और भक्तों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है। पितरों को तिल का अर्पण करने से पितृदोष भी दूर होता है जिससे जीवन में अनुकूलता और सुख-समृद्धि आती है।

हिंदू धर्म अपने अनुयायियों को समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान का पालन करके, दैवीय ऊर्जा का संचय करने और आत्मिक शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। षटतिला एकादशी इसी प्रकार का एक पावन अनुष्ठान है जिसे भक्तजन आस्था और भक्ति भावना के साथ मनाते हैं।

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