संकष्टी चतुर्थी 2024 का महत्व
हिन्दू धर्म में प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। इसे भगवान गणेश की पूजा के लिए अत्यंत पावन मानी जाती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2024 में, फाल्गुन मास की संकष्टी चतुर्थी बुधवार को पड़ रही है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
संकट हरण है श्री गणेश
ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक अर्थ है संकटों को हरने वाली तिथि। यह मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की निष्ठावान पूजा और व्रत से व्यक्ति के सभी प्रकार के विघ्न और समस्याएं दूर हो जाती हैं। यदि कोई धनाभाव, संकटों, शत्रुओं या किसी भी प्रकार की परेशानी से ग्रस्त है तो उसे संकष्टी चतुर्थी के दिन विशिष्ट उपायों का आश्रय लेने की परंपरा है।
व्रत का पारण का समय
28 फरवरी 2024 को इस व्रत की समाप्ति का पारण समय सुबह 9:14 बजे है। इस समय व्रती ने सुबह स्नान कर पूजा-अर्चना के बाद चंद्र दर्शन किया और उसके पश्चात् पारण किया जाएगा।
जीवन में अपने उपायों के साथ लाएं खुशहाली
संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ विशेष उपाय करके व्यक्ति अपने जीवन में सुख और समृद्धि ला सकता है। जैसे कि बेरोजगार व्यक्ति भी इस दिन बेसन के लड्डू बनाकर गणेश जी को भोग लगा सकते हैं और उनकी प्रतिमा की प्रदक्षिणा कर मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना कर सकते हैं। इसी प्रकार कई अन्य उपाय भी हैं जैसे कि अगर दांपत्य जीवन में तनाव है तो गणेश जी की पूजा के साथ तिल से हवन कर प्रेम बढ़ाया जा सकता है।
सफलता और स्वास्थ्य के लिए उपाय
संकष्टी चतुर्थी के दिन, ‘गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करने से काम में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। इसके साथ ही यदि कोई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है तो संकष्टी चतुर्थी के दिन गोमती चक्र, नागकेशर और कौड़ियों के उपाय द्वारा सुधार लाया जा सकता है।
नोट: इस लेख में बताए गए सभी उपाय और विधियां लोकप्रिय और पारंपरिक आस्था पर आधारित हैं। इनके परिणाम व्यक्तिगत अनुभव पर निर्भर कर सकते हैं। डीएनए हिंदी इसकी प्रत्यक्षता या परिणामों की पुष्टि नहीं करता है।
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