ग्रहण का खगोलीय महत्व
आगामी 8 अप्रैल, 2024 को नज़ारा होगा अनूठे खगोलीय घटनाक्रम का, जब आकाशीय पिंड सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे के साथ ऐसी स्थिति में आएंगे कि एक सूर्य ग्रहण का आविर्भाव होगा। खगोल विज्ञान के अनुसार, यह घटना तब घटित होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है और अपनी छाया से सूर्य के कुछ हिस्से को ढक लेता है।
सूर्य ग्रहण के समय और दृश्यता
इस बार का सूर्य ग्रहण, जो वर्ष 2024 का पहला ग्रहण भी है, 8 अप्रैल को शुरू होगा और रात्रि 09:12 से लेकर 01:20 तक विभिन्न चरणों में देखा जा सकेगा। हालांकि, यह घटना भारत के नज़रिये से नहीं देखी जा सकेगी। इसके फलस्वरूप, भारतीय समयानुसार इस दौरान सूतक काल का प्रयोग नहीं होगा, लेकिन सूर्य ग्रहण का महत्व और इसके प्रभाव मान्यताओं के अनुसार वैसे ही रहेंगे।
विश्व में सूर्य ग्रहण कहां दिखेगा
कनाडा, मेक्सिको, यूनाइटेड स्टेट्स, करेबियन नीदरलैंड्स, अटलांटिक, आर्कटिक, कोलंबिया और दक्षिण अमेरिका के उत्तरी हिस्सों समेत कुछ देशों में इस ग्रहण की झलक मिलेगी। सदैव की भांति आकाशीय घटनाओं के साक्षी बनाने हेतु वैज्ञानिक और खगोल प्रेमी उत्सुकता से इस दिवस की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र की नज़र में ग्रहण का विशेष महत्व होता है। इस दौरान ग्रहों की स्थिति और ग्रहण की खगोलीय परिस्थितियाँ व्यक्ति की कुंडली के ग्रहों पर प्रभाव डाल सकती हैं। इस कारण से विभिन्न राशियों पर इसके विभिन्न प्रकार से प्रभाव पड़ने की संभावना होती है।
सूर्य ग्रहण से जुड़े आचार-विचार
सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ विशिष्ट नियम और सावधानियां लोग मानते हैं, खासकर भारतीय संस्कृति में। ऐसी धारणा है कि गर्भवती महिलाएँ, ग्रहण के समय, विशेष सावधानी बरतें क्योंकि इस समय उनके और उनके भावी संतान के लिए नकारात्मक प्रभाव की आशंका रहती है। यह भी मान्यता है कि खाना-पीना और पूजा-पाठ के कार्य ग्रहण के समय नहीं करने चाहिए क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहता है। इसके अतिरिक्त, ऐसा भी कहा जाता है कि किसी को भी ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इन सभी नियमों का पालन करने का उद्देश्य ग्रहण से संभावित बुरे प्रभावों से बचाव करना है।
(Disclaimer: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है और कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं करती है।)
सूर्य ग्रहण की इस घटना को चाहे दुनिया के कई कोनों से लोग अपने नज़रों से निहार सकेंगे, लेकिन इसकी महत्ता हर जगह समान रूप से मान्य है, चाहे विज्ञान हो या ज्योतिषशास्त्र। यह दिवस न केवल खगोलविदों के लिए बल्कि सामान्य जन-मानस के लिए भी एक विशेषाधिकार लिए होता है।