होलिका दहन: धर्म और अध्यात्म की अद्भुत संध्या
भारतीय संस्कृति में त्योहारों का विशेष स्थान है, और इस कड़ी में ‘होलिका दहन’ एक प्रमुख पर्व के रूप में स्थापित है। इस वर्ष 2024 में, हम फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का पर्व मनाने जा रहे हैं। यह पर्व न केवल रंगों और उमंग का प्रतीक है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का भी संदेश देता है। आइए, आपको इस शुभ अवसर पर होलिका दहन के शुभ मुहूर्त और महत्वपूर्ण मंत्रों की जानकारी देते हैं।
शुभ मुहूर्त के मार्गदर्शन में होलिका दहन
इस वर्ष होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त आज रात 11 बजकर 14 मिनट के आसपास आरंभ होगा जो 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इससे पूर्व सुबह 9:24 से शुरू होकर रात 10:27 तक भद्रा काल रहेगा, जिसके कारण उस अवधि में होलिका दहन वर्जित है। अतः, आप सभी होलिका दहन के लिए भद्रा के समाप्त होने के पश्चात् ही आयोजन की तैयारी करें।
होलिका दहन पूजन मंत्र
होलिका पूजन में प्राचीन मंत्रों का बहुत महत्व है। ये मंत्र धार्मिक भावनाओं को और भी गहराई देते हैं। निम्नलिखित मंत्र होलिका दहन के समय पारंपरिक रूप से जपे जाते हैं:
– ॐ होलिकायै नम:
– ॐ प्रह्लादाय नम:
– ॐ नृसिंहाय नम:
होलिका दहन करते समय या यदि किसी वस्तु को अर्पित किया जा रहा हो तो इस मंत्र का उच्चारण करें: “अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः, अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।”
नरसिंह भगवान की पूजा और आरती
होलिका दहन से पूर्व भगवान नरसिंह की आरती का विशेष महत्व है। नरसिंह भगवान, जो कि विष्णु भगवान के एक रौद्र अवतार हैं, की पूजा से भय और कष्टों से मुक्ति मिलती है। कई भक्त इस मंत्र के साथ नरसिंह भगवान की आरती गाते हैं:
“ओम जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, जनका ताप हरे॥
तुम हो दिन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।
अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी॥
सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।
दास जान आपनायो, दास जान आपनायो, जनपर कृपा करी॥
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।
शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे॥”
आपके इस अनुष्ठान को करने में, ये मंत्र और आरती शक्ति का संचार क�