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2024 सूर्य ग्रहण: अद्भुत खगोलीय घटना वैश्विक प्रभाव

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अंतरिक्ष विज्ञान का अद्भुत पर्व: पूर्ण सूर्य ग्रहण

साल 2024 का प्रारंभ खगोल विज्ञान के अद्भुत नजारे के साथ हुआ है। पूर्ण सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2024) जिसने अंतरिक्ष विज्ञान के प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। यह घटना भारतीय समयानुसार रात 9 बजकर 9 मिनट पर शुरू होकर देर रात 2 बजकर 22 मिनट तक चली। यह खगोलीय दृश्य अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, और विभिन्न अन्य देशों में देखा गया। भारत में इसका साक्षात्कार नहीं हो पाया, फिर भी इस घटना का वैश्विक महत्व पर्याप्त है।

दिन में हुई रात: पूर्ण सूर्य ग्रहण का प्रभाव

इस दुर्लभ और रोमांचकारी दृश्य के दौरान, सूर्य, चंद्रमा, और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। चंद्रमा सूर्य के सामने आकर पृथ्वी पर अपना छाया डालता है, जिस कारण दिन में अँधेरा छा जाता है। इस ग्रहण को कुछ जगहों पर 4 मिनट, 28 सेकंड तक अनुभव किया गया।

यह कहाँ और कैसे देखा गया?

महाद्वीपीय उत्तरी अमेरिका, खासकर मेक्सिको के प्रशांत तट पर इस आकाशीय घटना का आरंभ हुआ, जहाँ दोपहर लगभग 2 बजे से इस नजारे का साक्षात्कार हुआ। दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में भी आंशिक सूर्यग्रहण देखा गया। स्पष्ट आसमान की कामना करते हुए लाखों लोगों ने इस घटना का भरपूर आनंद लिया।

भारत पर प्रभाव: सूर्य ग्रहण 2024 सूतक काल

जहां एक ओर अनेक देशों में इस ग्रहण को देखने के लिए उत्सुकता देखी गई, वहीं भारत में यह दृश्यमान न होने के कारण किसी तरह का असर यहां नहीं हुआ। पारंपरिक भारतीय ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने के 12 घंटे पहले से सूतक काल आरंभ होता है, जिस दौरान पूजा-पाठ सहित अन्य धार्मिक क्रियाओं पर अस्थायी पाबंदी होती है। लेकिन चूंकि इस बार ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया, इसलिए सूतक काल का पालन नहीं हुआ।

विश्व स्तर पर महत्व

सूर्य ग्रहण न केवल एक खगोलीय घटना है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक महत्व का आयोजन है। इस घटना के माध्यम से वैज्ञानिक ब्रह्मांड की संरचना और प्रक्रियाओं को समझने के नए आयाम खोजते हैं, जबकि सामान्य जन अपनी कल्पनाओं और मिथकों के आधार पर इसे देखते हैं। विश्व भर में अनेक समुदाय और संस्कृतियाँ इसे विभिन्न पौराणिक और शुभाशुभ घटनाओं के साथ जोड़कर देखते हैं।

समापन: खगोल विज्ञान का ज्ञानोत्सव

इस प्रकार, पूर्ण सूर्य ग्रहण ने एक बार फिर विश्व को अपनी अद्भुतता से मोहित किया है। ऐसी घटनाएँ प्रकृति और उसके गोपनीय आश्चर्यों के प्रति मानव की जिज्ञासा को बढ़ाती हैं। इस समय, जब हम भारत में सूर्य ग्रहण को प्रत्य

क्ष रूप से देख नहीं पाए, तो भी हमारी विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और उत्सुकता निरंतर बढ़ती जा रही है। आगामी समय में ऐसे और अनेक खगोलीय नजारे हमें अपनी ओर आकर्षित करेंगे। वैज्ञानिक प्रगति के साथ, अब हम ऐसे विचित्र और रोमांचक दृश्यों को ना केवल देख पाएंगे, बल्कि उन्हें समझने और उनकी व्याख्या करने की हमारी क्षमता भी बढ़ती जाएगी।

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