भारत की नई उपलब्धि: 338 SABER स्नाइपर राइफल
भारत ने हाल ही में रक्षा क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ‘मेड इन इंडिया’ स्नाइपर राइफलों का निर्यात शुरू कर दिया है। बेंगलुरु स्थित SSS Defence की 338 Saber स्नाइपर राइफल हाल ही में एक मित्र देश को एक्सपोर्ट की गई है। इस राइफल की खासियत और इसके निर्यात के पीछे छिपी कहानी काफी दिलचस्प और गौरवपूर्ण है।
338 SABER स्नाइपर राइफल: विशेषताएं और प्रौद्योगिकी
338 Saber स्नाइपर राइफल को पूरी तरह से भारत में ही बनाया गया है, यहां तक कि इसका बैरल भी अपनी मैन्युफैक्चरिंग इकाई में तैयार हुआ है। SSS Defence के मुताबिक, यह एक भारी बैरल वाली राइफल है जिसे मैनुअल ऑपरेशन के हिसाब से डिजाइन किया गया है। यह राइफल बोल्ट एक्शन प्रणाली पर आधारित है, जो मैच ग्रेड गोला-बारूद के साथ एक कुशल निशानेबाज के हाथों में बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। यह राइफल 1,500 मीटर और उससे भी अधिक दूरी के लक्ष्य को आसानी से भेद सकती है।
अगर लचीलापन जरूरी हो तो इसके सिस्टम को कॉम्पैक्ट कॉन्फ़िगरेशन में बदला जा सकता है। इस राइफल की निर्यात की संभावना इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि कम से कम 30 देश 338 लापुआ मैग्नम स्नाइपर का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसे बनाने वाले दर्जन भर से थोड़े ही ज्यादा हैं।
डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता
भारत का सालाना रक्षा उत्पादन 2023-24 में लगभग 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत, भारत कई तरह के गोला-बारूद और हथियार बना रहा है। तोपों से लेकर मिसाइल सिस्टम और छोटे हथियार तक कभी हम इन्हें आयात करते थे, लेकिन अब हमने इनका निर्यात करना शुरू कर दिया है। SSS Defence ने सिर्फ स्नाइपर राइफल ही नहीं, बल्कि उसे कई देशों से अन्य प्रकार के गोला-बारूद सप्लाई करने के भी ठेके मिले हैं।
विश्व बाजार में भारतीय हथियारों की मांग
338 Saber स्नाइपर राइफल की बढ़ती मांग के पीछे एक प्रमुख कारण उसकी उच्च सटीकता और विश्वसनीयता है। स्नाइपर राइफलों की मांग बढ़ने के कारण, SSS Defence को कई मित्र देशों से 50 मिलियन डॉलर मूल्य का गोला-बारूद सप्लाई करने के ठेके प्राप्त हुए हैं।
प्राइवेट कंपनियां खुद से क्लाइंट ढूंढ रही हैं, लेकिन सरकार भी उनकी मदद कर रही है। कंपनियों को तेजी से क्लीयरेंस मिल रहा है जिससे वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से अपनी पहचान बना रही हैं। इस बढ़ती मांग और एक्सपोर्ट के साथ, भारत ने अपने रक्षा उत्पादों के लिए एक नई पहचान बनायी है।
क्यों खास है यह स्नाइपर राइफल
338 Saber स्नाइपर राइफल की एक और महत्वपूर्ण विशेषता इसकी निर्माण प्रक्रिया है। इसे पूरी तरह भारत में ही बनाया गया है और इसके प्रत्येक घटक को भारतीय मैन्युफैक्चरिंग इकाई में तैयार किया गया है। यह राइफल मैन्युअल ऑपरेशन पर आधारित है, जो इसे बेहद विश्वसनीय और टिकाऊ बनाता है।
338 Sabre एक बोल्ट एक्शन राइफल है जो मैच ग्रेड गोला-बारूद के साथ प्रभावशाली सटीकता और घातकता प्रदान करती है। इसका भारी बैरल मनचाहे लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। लचीले कॉन्फ़िगरेशन की सुविधा के साथ, इस राइफल को विभिन्न ऑपरेशन परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारत की रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में योगदान
भारत ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। देश का सालाना रक्षा उत्पादन 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत विभिन्न तरह के हथियार और गोला-बारूद का निर्माण हो रहा है, जो कभी हम आयात करते थे।
यह आत्मनिर्भरता देश की सुरक्षा और आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है। साथ ही, भारतीय रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमारी एक नई छवि बनाई है।
निष्कर्ष
338 Saber स्नाइपर राइफल भारत की तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भरता की मिशाल है। यह न केवल हमारे देश के लिए गर्व की बात है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रतीक है। इस तरह के उत्पादों के निर्यात के साथ, भारत ने यह साबित कर दिया है कि वह न केवल अपनी जरूरतों को पूरा कर सकता है, बल्कि विश्वभर में भी अपने उत्कृष्ट उत्पादों को प्रमोट कर सकता है।
इस सफलता ने भारतीय रक्षा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है और हमें उम्मीद है कि भविष्य में भी हम ऐसी ही और भी कई उपलब्धियाँ हासिल करेंगे।