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लॉटरी को प्रैंक कॉल समझकर काटा फोन 44 करोड़ जीतने वाले की अनोखी कहानी

प्रैंक कॉल की आशंका में जीत की सच्चाई से दूरी

कल्पना कीजिए कि एक दिन आपके फोन पर कॉल आती है, और कोई आपको यह बताता है कि आपने करोड़ों की लॉटरी जीत ली है। पहली प्रतिकिया क्या होगी? शायद संदेह, शायद अविश्वास। ऐसी ही एक दिलचस्प घटना घटी बेंगलुरु के अरुण कुमार वाटक्के कोरोथ के साथ, जब उन्होंने एक कॉल को सिर्फ एक प्रैंक समझकर अनदेखा कर दिया।

अरुण कुमार का मानना था कि कोई दोस्त उनके साथ मजाक कर रहा है, इसलिए उन्होंने फोन काट दिया। किसी ने उनसे कहा कि उन्हें बिग टिकट लाइव ड्रॉ लॉटरी में 20 मिलियन दिरहम का ग्रैंड प्राइज मिला है, जो भारतीय मुद्रा में लगभग 44 करोड़ रुपए होता है। यह सुनकर, अरुण ने तुरंत कॉल को नकली समझा और नंबर ब्लॉक कर दिया।

लॉटरी टिकट में पहली बार की नाकामी

अरुण कुमार की कहानी शुरू होती है एक साधारण चर्चे से जो उनके दोस्तों के साथ हुआ। उन्हें अबू धाबी की बिग टिकट लॉटरी के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने इसे आजमाने का निर्णय लिया। पहली बार जब उन्होंने टिकट खरीदा, तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी। लेकिन अरुण की किस्मत अभी मोड़ लेने वाली थी।

दूसरी बार उन्होंने 22 मार्च को फिर से टिकट खरीदा। यह टिकट उनके जीवन का ‘टर्निंग पॉइंट’ बनने वाला था, लेकिन उन्हें इसकी भनक तक नहीं थी।

जीत की सूचना पर प्रतिक्रिया

जैसे ही बिग टिकट लॉटरी के आयोजकों ने अरुण को फोन कर उनकी जीत की खबर दी, उनकी प्रारंभिक प्रतिक्रिया अविश्वास की थी। उन्होंने सोचा, “ये कोई प्रैंक तो नहीं?” लेकिन जब दूसरी बार उन्हें अलग नंबर से कॉल आया, तब जाकर उन्हें जीत की सच्चाई का यकीन हुआ। अरुण कुमार ने एक प्रमुख समाचार पत्र को बताया, “जब बिग टिकट से कॉल आई, तो मैंने इसे फेक कॉल समझा।”

सपनों की उड़ान

बिग टिकट लॉटरी के साथ अरुण ने 20 मिलियन दिरहम, जो कि भारतीय मुद्रा में करीब 44 करोड़ है, की राशि जीती। इन पैसों से अरुण अपने वर्षों पुराने सपने को पूरा करना चाहते हैं। उनका सपना हमेशा से खुद का व्यवसाय शुरू करने का रहा है, और अब वे इसे साकार करने में सक्षम हैं।

यह जीत उनकी जिंदगी में न सिर्फ आर्थिक स्थिरता लाएगी, बल्कि नए संभावनाओं के द्वार भी खोलेगी। बिग टिकट अबू धाबी ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर इस जीत की पुष्टि की।

कहानी का मोड़

अरुण की यह कहानी सिर्फ एक बड़ी लॉटरी जीतने की नहीं है, बल्कि यह विश्वास और अविश्वास के अद्भुत खेल की भी है। जहां एक तरफ प्रैंक कॉल का डर हो, वहीं अदृश्य भाग्य का आना भी कितना अप्रत्याशित हो सकता है।

यह घटना हमें सिखाती है कि कभी-कभी जीवन की सबसे अप्रत्याशित घटनाओं में संभावनाएं छुपी होती हैं और हमें नए अनुभवों के लिए तैयार रहना चाहिए। जैसे अरुण के साथ हुआ, भाग्य कहीं न कहीं दरवाजे पर दस्तक देता ही है; जरूरत है तो बस उस अवसर की पहचान करने की।

अरुण कुमार ने अपनी पूरी ताकत के साथ इस अवसर का स्वागत किया और अब वे एक नई शुरुआत के लिए तैयार हैं। उनके अनुभव से हमें यह सबक मिलता है कि कभी-कभी जीवन के मौकों को संजीदगी से लेना चाहिए, क्योंकि कौन जाने कब आपके दरवाजे पर किस्मत दस्तक दे रही हो।

अरुण की यह अनोखी कहानी साबित करती है कि विश्वास और अविश्वास के बीच अक्सर मौका छुपा होता है, और मौके की पहचान ही सफलता की कुंजी होती है। ऐसे ही हमें अपने जीवन में दरवाजे पर दस्तक देते अवसरों को पहचानने की जरुरत होती है, और यही सच्चा विश्वास होता है कि कभी-कभी जीवन की सबसे अप्रत्याशित घटनाओं में संभावनाएं छुपी होती हैं।

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