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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की नई सूचना जुड़ेंगी महान आस्थाओं की मूर्तियां

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अयोध्या में राम मंदिर का ताजा अपडेट

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर के बारे में नवीनतम जानकारी साझा की है। एक विशेष बैठक में, उन्होंने बताया कि मंदिर की जमीनी मंजिल, जिसमें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, यानी मूर्ति स्थापित की गई थी, पूर्णता को प्राप्त हो चुकी है। अब कार्यबल पहले तल के काम और भविष्य में बनने वाले दूसरे तल की तैयारियों में जुटा हुआ है।

सुरक्षा और सौंदर्य की मिसाल बनेगा परकोटा

मंदिर परिसर की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए 14 फुट चौड़ी एक मजबूत सुरक्षा दीवार, यानी परकोटा का निर्माण किया जा रहा है, जो मंदिर के चारों ओर फैला होगा।

मंदिर परिसर में बढ़ेगा दिव्यता का आंगन

राम मंदिर परिसर अब सिर्फ़ एक मंदिर से कहीं अधिक होगा। यहां छह अन्य मंदिरों का भी निर्माण किया जाएगा, जिनमें भगवान शंकर, माता भगवती, मां पार्वती, भगवान सूर्य, भगवान हनुमान और मां अन्नपूर्णा के मंदिर शामिल होंगे। ये सभी मंदिर पत्थर से निर्मित किए जाने की योजना है।

भक्ति के महान पात्रों को मिलेगा स्थान

इस महातीर्थ क्षेत्र में महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, मां शबरी, मां अहिल्या और जटायु जैसे पौराणिक पात्रों के मंदिर भी बनाए जाएंगे, जिससे अयोध्या की धार्मिकता और विशेषता में वृद्धि होगी।

तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं का भंडार

तीर्थयात्रियों के लिए विशेष सुविधाओं का प्रावधान किया जा रहा है। छायादार परिसर में सभी प्रकार के आधुनिक सुविधाएं होंगी और एक समय में 25,000 श्रद्धालु मंदिर परिसर में आ सकेंगे। सामान रखने के लिए भंडारण सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम

चंपत राय के अनुसार, परिसर में स्थित 600 पेड़-पौधे सुरक्षित हैं और यहां पानी और सीवेज के उपचार के लिए एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित किया गया है।

प्रतिदिन श्रद्धालुओं का सैलाब

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही लगभग 1.5 करोड़ लोग दर्शन के लिए आए हैं, और हर दिन देश भर से एक लाख से अधिक भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे हैं। इस अनुपम श्रद्धा के स्थल पर जुटने वाले धर्मनिष्ठों की यह संख्या स्पष्टतः बताती है कि यह स्थान सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि एक जीवंत धार्मिक विरासत है।

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