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अयोध्या राम मंदिर: प्राण-प्रतिष्ठा के 3 महीने में दर्शनार्थी 1.5 करोड़ के पार

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अयोध्या की राम जन्मभूमि का बढ़ता गौरव

भारतीय इतिहास के सबसे प्रतीक्षित धार्मिक स्थलों में से एक, अयोध्या का राम मंदिर आज श्रद्धालुओं की अगणित भीड़ का केंद्र बन चुका है। 22 जनवरी, 2024 को इस महान मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की भव्य और दिव्य प्रक्रिया संपन्न हुई, जिसे देखते ही देश भर से लाखों भक्तों का रूख इस दिव्य स्थान की ओर हुआ। उनकी आस्था का केंद्र बने इस मंदिर ने प्राण प्रतिष्ठा के महज तीन महीनों में ही 1.5 करोड़ दर्शनार्थियों का स्वागत किया।

रामलला के दर्शन का अद्भुत अनुभव

रोजाना 1 लाख से अधिक भक्त इस पवित्र स्थल पर दर्शन के लिए आ रहे हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव श्री चंपत राय ने इस आंकड़े की पुष्टि की है। मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर रामलला की प्रतिमा की स्थापना के साथ ही एक नई धार्मिक ऊर्जा प्रकट हुई है, जिसने अनगिनत श्रद्धालुओं के मन में भक्ति की नई लहर जगाई है। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही भक्तों का सामना होता है एक अपूर्व शांति और शक्ति से, जो उन्हें आध्यात्मिक आनंद और संतुलन प्रदान करती है।

मंदिर निर्माण कार्य अविरल जारी

इस बीच मंदिर का निर्माण कार्य भी जोरों पर है। यह मंदिर त्रेतायुग की भव्यता और सुंदरता को प्रतिबिंबित करता है। मंदिर का ग्राउंड फ्लोर पूर्ण रूप से तैयार हो चुका है और निर्माण के अगले चरण में कुल तीन फ्लोर बनाए जाएंगे। मंदिर की भव्यता और मजबूती के लिए चारों तरफ 14 फीट चौड़ी दीवार यानी परकोटा का निर्माण भी किया जा रहा है।

सप्त पूर्ण मंदिर

राम मंदिर के अलावा यहां 7 अन्य दिव्य मंदिर भी बनाए जा रहे हैं, जिनमें महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या के मंदिर शामिल हैं। ये मंदिर देशी और विदेशी श्रद्धालुओं को त्रेतायुग के दिव्य और अध्यात्मिक प्रभाव का अनुभव कराएंगे।

आध्यात्मिक प्रवास का नया आयाम

राम मंदिर का यह प्राण प्रतिष्ठा उत्सव सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म की उन्नति को दर्शाता है। भक्तों की अपार संख्या और उनकी निष्ठा ने इसे आध्यात्मिक प्रवास का एक नया आयाम प्रदान किया है। अयोध्या का यह राम मंदिर न सिर्फ एक तीर्थस्थल है बल्कि एक ऐसा मंच है जहां भक्तों की भावनाएं, संस्कृति और इतिहास का अनूठा संगम होता है।

इस मंदिर की पवित्रता और इसके प्रति आस्था के चलते यहां आने वाले हर भक्त का मानना है कि वह श्रीराम की जन्मभूमि होने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। निस्संदेह, राम मंदिर और इसकी दिव्यता आने वाले काल में भी अनंत काल तक मानवता को शांति और सद्भाव की ओर ले जाती रहेगी।