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प्रकाश की किरणों से मुनमुनीले ललाट रामलला सूर्य तिलक उत्सव के दर्शन

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रामनवमी: भक्तिमय उत्सव का वर्णन

चैत्र मास की नवमी तिथि, जिसे हम रामनवमी के रूप में जानते हैं, भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या के साथ-साथ पूरे भारतवर्ष में अत्यंत भक्ति और हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया जाता है। इस पवित्र दिन सजीव भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के अनुष्ठान में पूरा देश डूब जाता है।

इसबार अयोध्या की पावन नगरी में जन्मोत्सव के साथ ही एक दुर्लभ क्षण का साक्षात्कार हुआ। सुबह की अरूणाई में भगवान श्रीराम को अनूठे अभिषेक के पश्चात् विशेष सूर्यतिलक के दर्शन हुए। ये दिव्य दृश्य ऐसा मानो सूरज ने स्वयं अपनी किरणों के द्वारा विधि विधान से तिलक लगाया हो।

भगवान का अभिषेक और सूर्यतिलक

प्रातःकाल से ही मंदिर परिसर में वेदमंत्रों और शंखनाद की गूँज सुनाई दे रही थी। पंडितगण आचार-विचार से अभिषेक विधि संपन्न कर रहे थे। संपूर्ण उत्सव में अयोध्या का पवित्र रामजन्मभूमि मंदिर जयकारों से गुंजायमान हुआ। भक्तों ने श्रीराम के जयघोष लगाए और सभी भक्तिभाव से ओतप्रोत दिखे। सूर्यदेव के प्रकाशपुंज ने रामलला के कपोलों को छूते हुए उनके भाल पर आलोकित तिलक दिया।

समर्पण का आलोकिक नजारा

रामनवमी के अवसर पर, जन्म के शुभ मुहूर्त के दर्शन के साथ, भक्तों की आँखें भी दिव्य चमक से भर गईं। भगवान के ललाट पर सूर्य की किरणों का वह खेल, मानो एक अद्भुत आत्मीय मिलन का दृश्य प्रस्तुत कर रहा हो। भगवान श्रीराम और सूर्यदेव के इस मिलन को देखने के लिए अनगिनत भक्तों का समुद्र मंदिर में उमड़ पड़ा था। कीर्तन, भजन, आरती, पूजा, पाठ और जयघोष से समूचा मंदिर परिसर आंदोलित हो उठा।

डिजिटल युग में भक्ति की झलक

इस भव्य आयोजन की तस्वीरें और वीडियो डिजिटल मंचों पर भी छा गए हैं। सोशल मीडिया पर श्रद्धालु अपने भक्ति-भाव को प्रकट करते हुए इन दृश्यों को साझा कर रहे हैं। डीएनए हिंदी के सोशल प्लेटफार्म पर भी यह पवित्र नज़ारा लोगों ने देखा और साझा किया। आधुनिक तकनीकी प्रगति के बीच भी पारंपरिक उत्सव का इस तरह डिजिटलीकरण भक्ति के उस नये रूप को दर्शाता है जो आज के युग में भी सनातनी मूल्यों और आस्था की महत्ता को अक्षुण्ण रखने में सहायक है।

संकल्प, श्रद्धा, और समाधान का संगम

वर्तमान राजनीतिक परिवेश में इस तरह के अनुष्ठान न सिर्फ हमारी सांस्कृतिक विरासत का परिचायक हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि हमारा देश किस प्रकार अपने संस्कृति के परिरक्षण की ओर अग्रसर है। जन्मोत्सव के माहौल में राजनीतिक नेताओं ने भी अपनी जयकार लगाते हुए, इसे राष्ट्रीय एकता और समृद्धि की दिशा में एक कदम बताया।

रामनवमी का यह आयोजन न केवल एक उत्सव है बल्कि यह संकल्प है, श्रद्धा है, और उस संस्कृति की अखंडता का समाधान भी है, जिसने विश्व को अनेक मानवीय मूल्यों का संदेश दिया। आज के इस अवसर पर हम सब उस दिव्यता का आभास करते हैं, जिसने ना केवल भगवान श्रीराम की प्रतिमा को उज्ज्वल किया, बल्कि हमारे हृदयों को भी प्रकाशित किया।