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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा: पीएम मोदी का ‘यम नियम’ संयम अयोध्या में बढ़ा उमंग का माहौल

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अयोध्या में रामलला विग्रह की स्थापना

भारत के धार्मिक इतिहास में 22 जनवरी का दिन एक नए अध्याय की तरह दर्ज हुआ है, जिस दिन अयोध्या की पावन धरती पर रामलला विग्रह की स्थापना हुई। पूरा देश जिस इंतजार में था, वह समय आ गया है जब राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा विराजमान हुई है। इस महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक आयोजन के लिए उत्साह की लहर देशभर में देखी जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी का आध्यात्मिक संकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल इस आयोजन के मुख्य यजमान का दायित्व उठाया, बल्कि उन्होंने शास्त्रों द्वारा निर्धारित यम नियम के अनुष्ठानों का भी पालन किया। ज्ञात हो कि शास्त्रों के अनुसार, ऐसे महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रमों के लिए यजमान को कठोर और दृढ़ संयम का पालन करना अनिवार्य होता है।

यम नियम की क्या है महत्ता?

अष्टांग योग के आरंभिक सोपान यम और नियम हैं, जो की प्राणी में प्राण स्थापित करने की पवित्र और शुभ प्रक्रिया के लिए मौलिक माने गए हैं। यहाँ यम का अर्थ है सामाजिक उचित आचरण, जबकि नियम का संबंध स्वयं के प्रति अनुशासन से है। यम में अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह शामिल हैं। वहीं, नियम में शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वर-प्रणिधान को समावेशित किया गया।

प्रधानमंत्री के अध्यात्मिक प्रयास

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी 12 जनवरी से ही 22 जनवरी तक लगातार 11 दिन तक यम और नियम का कठोर पालन कर रहे हैं। इन दिनों में उन्होंने अन्न का त्याग किया। यही नहीं, उन्होंने जल का भी सेवन सीमित मात्रा में ही किया। इस पावन अनुष्ठान के अनुसार, उन्होंने सामान्य खाद्य पदार्थों और संसारिक सुख-सुविधाओं से अलग रहकर आत्म-संयम बरता।

प्रधानमंत्री का इस आध्यात्मिक प्रक्रिया में रहते हुए भी उन्होंने अपने प्रशासनिक उत्तरदायित्वों को पूरी तत्परता से निभाया। उनका यह कदम अध्यात्म और कर्तव्य की दृष्टि से लोगों के बीच प्रेरणा का स्रोत बना है।

देशभर में उत्साह और उमंग

रामलला विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह को लेकर पूरे देशवासियों में उत्साह और उमंग की लहर है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु अयोध्या की ओर रुख कर रहे हैं, महानगरों से लेकर कस्बाई क्षेत्रों तक, हर जगह से लोग इस ऐतिहासिक क्षण में सामिल होने के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री ने भी इस समारोह की श्रृंखला में रंग भरते हुए, विशेष रूप से दक्षिण भारत के अनेक मंदिरों का दौरा किया, जिससे कि पूरे देश की आध्यात्मिक ऊर्जा इस महान अनुष्ठान में समर्थित हो सके।

आज, जैसे ही रामलला की विग्रह की स्थापना हुई, जन-जन के चेहरे पर खुशी की चमक देखी जा रही है। इसे सिर्फ धार्मिक आयोजन ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और समरसता का प्रतीक Бे сро εακт.