श्रद्धेय प्रेमानंद महाराज की अचानक बिगड़ी तबियत
वृंदावन के जाने-माने संत प्रेमानंद महाराज की संध्या आरती के दौरान तबियत अचानक बिगड़ गई। उन्हें जब सीने में तेज दर्द उठा, तो परिस्थिति की गंभीरता को समझते हुए उन्हें तत्काल राम कृष्ण सेवा आश्रम अस्पताल में भर्ती करवाया गया। परिजनों और भक्तों में चिंता की लहर दौड़ गई, लेकिन जल्द ही बताया गया कि संत जी की स्थिति नियंत्रण में है।
अस्पताल में हुए आवश्यक परीक्षण
प्रेमानंद महाराज को तुरंत अस्पताल पहुंचाए जाने के बाद चिकित्सकों ने आवश्यक मेडिकल टेस्ट किए। जहां उन्हें शीघ्र चिकित्सा सहायता प्रदान की गई, वहीं उनके स्वास्थ्य की निगरानी बारीकी से की गई। प्रेमानंद महाराज की सेहत में सुधार दिखाई देने के कारण उन्हें आश्रम भेज दिया गया। डॉक्टरों ने उन्हें सावधानी बरतने और नियमित जांच के लिए आने की सलाह दी है।
लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित
संत जी लगभग 17 वर्षों से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। इस गंभीर समस्या के चलते उन्हें नियमित डायलिसिस करवाना पड़ता है। यह स्थिति कई बार उनकी तबियत को नाजुक बना देती है, परंतु उनके धैर्य और मजबूत इच्छा-शक्ति के आगे यह बीमारी कभी बाधक नहीं बन सकी।
अदम्य साहस के साथ निरंतर सेवा में लगे संत
प्रेमानंद महाराज अपनी कठिनाइयों के बावजूद श्रीकृष्ण शरणम सोसायटी से श्री हित केलि कुंज आश्रम तक प्रतिदिन पैदल यात्रा करते हैं। उनकी यह उपलब्धता भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे इस दौरान अपने अनुयायियों से मिलते हैं और उन्हें जीवन के सच्चे मूल्यों की शिक्षा देते हैं।
उनकी धर्मनिष्ठा और समर्पण उनके भक्तों के लिए एक मिसाल है। वे न केवल अपने प्रवचनों के माध्यम से, बल्कि अपने जीवन के हर पहलू में भक्ति और ध्यान का आदर्श प्रस्तुत करते हैं।
प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य और उनका महत्व
प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य न केवल उनके अनुयायियों के लिए बल्कि पूरे वृंदावन समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है। उनकी सलाह और मार्गदर्शन बहुतों के जीवन में रोशनी की किरण की भांति है।
उनकी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए, उनके भक्तों और परिजनों ने उनकी उत्तम सेहत के लिए प्रार्थनाएं जारी रखी हैं। संत जी के जीवन यात्रा की अमूल्य शिक्षाओं का जिक्र करते हुए उनके अनुयायी उन्हें अपने निरंतर समर्थन की प्रतिज्ञा कर रहे हैं।
प्रेमानंद महाराज की दृढ़ संकल्प और उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा सभी के लिए प्रेरणा है। हम आशा करते हैं कि वह जल्द ही पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें और आध्यात्मिक जगत को अपने अनमोल ज्ञान से पुनः समृद्ध करें। जिनके चलते वे अपने आश्रम में लौट आए हैं और पुनः उसी समर्पण के साथ सेवा में जुट गए हैं।